सोमवती अमावस्या
इस वर्ष 17 जुलाई 2023, सोमवार को साल की पहली सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) मनाई जा रही है। “सोमवती” शब्द का अर्थ होता है “सोम की पत्नी” और इस अवसर पर सोम (चंद्रमा) की पूजा की जाती है। सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व उत्तर भारतीय राज्यों में होता है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि। इस दिन महिलाएं रात्रि में व्रत रखती हैं और सोमवती अमावस्या कथा सुनती हैं जो माता जी की कृपा को प्राप्त करने में मदद करने का वादा करती है। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का खास महत्व होता है। सोमवती अमावस्या एक तिथि है जो हिंदू पंचांग में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस तिथि को अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जब सूर्य और चंद्रमा एक ही नक्षत्र में स्थित होते हैं। यह तिथि प्रत्येक मास की अमावस्या पर नहीं होती है, बल्कि केवल विशेष मासों में ही पाई जाती है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान, पुण्य और पितरों को तर्पण किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान और पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शिव जी को समर्पित होने का कारण सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं। साथ ही पति की दीर्घायु होने की कामना भी करती हैं। इसके अलावा इस दिन कुछ उपाय करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
सोमवती अमावस्या को व्रत रखने का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है क्योंकि इस दिन मातृशक्ति (देवी शक्ति) की पूजा की जाती है और माताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पूजा, ध्यान और दान के माध्यम से चंद्रमा देवता की कृपा प्राप्त करती हैं। इस व्रत में मातृशक्ति की उपासना की जाती है और विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती हैं। सोमवती अमावस्या के दिन अनेक स्थानों पर चंद्रगुप्त मौली पुजन आयोजित किया जाता है, जिसको चंद्रमा देवता की पूजा का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। इस दिन लोग सोमवती व्रत के नियमों का पालन करते हैं और स्नान के बाद पूजा करते हैं। व्रत के दौरान व्रत कथा सुनी जाती है और माता अन्नपूर्णा, माता धनलक्ष्मी, और माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
सोमवती अमावस्या को व्रत और पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोमवती अमावस्या व्रत रखते हैं और माता जी की पूजा करते हैं। यह व्रत मुख्य रूप से मातृ देवी की कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है और इसे सुख, समृद्धि और पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए भी रखा जाता है। सोमवती अमावस्या को अच्छे कर्म करने, दान देने, पुण्य करने और मातृशक्ति की प्राप्ति के लिए भी एक उपयुक्त दिन माना जाता है। इस दिन धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान और पूजा करने का विशेष महत्व होता है। यह तिथि हिन्दी पंचांग के अनुसार वर्ष के विभिन्न महीनों में आती है और इसका आयोजन विभिन्न भागों में भी अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। यह तिथि सामान्यतः श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के मासिक अमावस्या के निकट ही आती है, लेकिन इसकी विशेष तिथि हर साल बदलती रहती है।
शिवजी का करें अभिषेक
सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है। इसलिए इस दिन शिव जी की पूजा जरूर करें। शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही से अभिषेक करें और काले तिल अर्पित करें। साथ ही इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक जरूर करें। इससे आपके अधूरे काम पूरे होंगे।
पितरों के लिए तर्पण करें
सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। इस दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और पुष्प अर्पित करें साथ ही ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें। इससे आप पर पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा।
भगवान विष्णु और पीपल के वृक्ष की करें पूजा
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पूजन से पहले खुद पर गंगाजल का छिड़काव करें। फिर पीपल के वृक्ष का पूजन करने के बाद पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें।
सुहागिनें जरूर करें शिव-पार्वती पूजा
सोमवती अमावस्या के दिन शिव पार्वती के पूजन का खास महत्व होता है। ऐसे में इस दिन सुहागिन कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। इससे पति की लंबी उम्र की कामना के लिए।
पीपल का एक पौधा लगाएं
यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा जरूर लगाएं। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाने से पितर देव बहुत खुश होते हैं। साथ ही इससे तरक्की के रास्ते भी खुल जाते हैं।
इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। हिंदू घरों में धन की देवी लक्ष्मी और शुभ शुरुआत के देवता गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें बाधाओं को दूर करने वाला भी कहा जाता है, और फिर समृद्धि और कल्याण का स्वागत करने के लिए सड़कों और घरों में दीया (मिट्टी के छोटे बर्तन) जलाते हैं।
सोमवती अमावस्या किसे कहते हैं?
सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं।इस वर्ष सोमवती अमावस्या किस दिन है?
इस वर्ष 17 जुलाई 2023, सोमवार को साल की पहली सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है।सोमवती अमावश्या को कैसे पूजा करनी चाहिए?
सोमवती अमावश्या को शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही से अभिषेक करें और काले तिल अर्पित करें। साथ ही इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक जरूर करें।सोमवती अमावस्या को कौन कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए?
भगवान शिव, भगवान विष्णु, चंद्रमा और पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है।