Veer Bal Divas 2023 | धर्म के लिए हुए बलिदान, मुगलों के सामने नहीं झुकने दी खालसा की शान: चार साहिबजादों को समर्पित है ‘वीर बाल दिवस’

Ishwar Chand
8 Min Read

Veer Bal Divas 2023

Veer Bal Divas
Veer Bal Divas

Veer Bal Divas : वीर बाल दिवस एक महत्वपूर्ण भारतीय पर्व है, जिसका मुख्य उद्देश्य गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों के बलिदान की स्मृति में उनका सम्मान करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद से 26 दिसंबर के दिन वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) के तौर पर मनाया जाता है। य​ह दिन समर्पित है गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों को। इन्होंने धर्म के लिए खुद को बलिदान कर दिया, लेकिन बर्बर मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके। यह दिवस हमें उनकी शौर्यगाथाओं को याद दिलाता है और हमें एक साथ आने और मिलकर अपने समृद्ध धर्मिक और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने का मौका देता है।

WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now

इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी को मुगल गवर्नर नवाब वजीर खान ने जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था। उस समय बाबा जोरावर सिंह जी की उम्र केवल 9 वर्ष तथा बाबा फतेह सिंह जी की उम्र केवल 7 वर्ष थी। विश्व के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है और न ही भविष्य में कभी होगा, जब सिर्फ 9 वर्ष तथा 7 वर्ष के दो बालकों ने अपने धर्म पर अडिग रहते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया हो।

Veer Bal Divas: इतिहास

गुरु गोबिंद सिंह ने अपने छोटे बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी और उन्हें खालसा समुदाय के सदस्य के रूप में तैयार किया। इन बच्चों का प्यार और विश्वास गुरु गोबिंद सिंह के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, और वे अपने धर्म और मूल्यों के लिए किसी भी कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार थे। गुरु गोविंद सिंह के बेटों फतेह सिंह और जोरावर सिंह को मुगलिया फौज के सेनापति वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था, लेकिन उनके मुँह से उफ तक नहीं निकली। सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह न सिर्फ एक संत एवं दार्शनिक, बल्कि एक कुशल योद्धा भी थे। उन्होंने बर्बर मुगल बादशाह औरंगजेब के विरुद्ध कई युद्ध लड़े

Read More  Railway RRB ALP Online Form Modification 2024

गुरु गोबिन्द सिंह जी ऐसे इतिहास पुरुष हैं, जिसका दूसरा उदाहरण कहीं नहीं मिलता। गुरु जी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी को धर्म की रक्षा हेतु अपना जीवन बलिदान करने के लिए प्रेरित किया। गुरु जी ने अपने चारों साहिबजादों को भी धर्म की रक्षा के लिये कुर्बान कर दिया और बाद में अपना जीवन भी धर्म की रक्षा के लिये कुर्बान कर दिया।

1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा तथा मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने धर्मनिष्ठ सिखों का एक विशेष योद्धा समूह बनाया था। जिसका एकमात्र उद्देश्य आम जनता को धार्मिक उत्पीड़न से बचाना था लेकिन मुगल इसे अपने लिए खतरा समझते थे।

चमकौर साहिब में मुगलों की सेना से लड़ते हुए बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह जी ने अपनी शहादत दे दी। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी को धोखे से पकड़कर मुगल गवर्नर नवाब वजीर खान के सामने प्रस्तुत किया गया। दोनों साहिबजादों को अपने जीवन के बदले अपना धर्म बदलकर इस्लाम अपनाने को कहा गया लेकिन दोनों साहिबजादों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने की बजाय मौत को गले लगाना बेहतर समझा। धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ साहिबजादों द्वारा दिखाया गया साहस और शौर्य अद्वितीय है। ये वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) वो मौका है, जब पूरी दुनिया को उनके सर्वोच्च बलिदान को जानने का अवसर मिलना चाहिए।

Read More  Indian Air Force AFCAT 2/2024 Online Form
Veer Bal Divas
Veer Bal Divas

ये दिन सिर्फ दो साहिबजादों के बलिदान को याद करने का दिन ही नहीं है बल्कि यह भी समझने का दिन है कि सिख गुरुओं ने किस तरह से देश के लिये अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

यह जानने का दिन है कि मात्र 9 वर्ष तथा 7 वर्ष की आयु में बिना डरे, घबराये, झुके और हंसते हंसते हुए मौत को स्वीकार किया गया। कल्पना करिये उस दृश्य की जब दो छोटे साहिबजादों को दरिंदगी पूर्ण तरीके से दीवार में जिंदा चुनवाते समय खुशी मनाते लोग कैसे होंगे? मात्र 9 वर्ष और 7 वर्ष के साहिबजादों को दीवार में जिंदा दफन करते हुए एक-एक ईंट रखी जा रही होगी और उनके चेहरे पर फैले तेज को देखकर उन लोगों में कितना भय पैदा हो रहा होगा।

कल्पना करिये कि उनके बलिदान ने कितना डरा दिया होगा उन अत्याचारी शासकों को जो देश पर कब्जा करके बैठे हुए थे। क्या कभी आपने ऐसे वीर बालकों के बारे में इतिहास में कहीं और पढ़ा या सुना है? विश्व इतिहास में ये ऐसी अनोखी और दुर्लभ घटना है, जिसका विवरण कहीं और नहीं मिलता। इतनी कम उम्र में अपने धर्म को समझना और उसके लिए सर्वोच्च बलिदान दे देना, कोई साधारण घटना नहीं थी।

वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) को मनाने के द्वारा, हम अपने बच्चों को यह भी बताते हैं कि हमारे देश का इतिहास और धर्म भारतीय समाज के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, और हमें इनकी संरक्षण की ज़िम्मेदारी है। वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) का मनाने के साथ, हम अपने समाज में एकता, समरसता, और सहयोग की भावना को मजबूती से बढ़ावा देते हैं और एक सशक्त और सद्गुण समृद्ध समाज की ओर कदम बढ़ाते हैं। वीर बाल दिवस हमारे देश के एकता और भाईचारे की महत्वपूर्ण भविष्य की ओर हमारा प्रयास है, जो हमारे राष्ट्र को महत्वपूर्ण बनाता है।

Read More  Jharkhand JSSC JIS CKHT 10+2 Inter Level 2024: Online Form

समापन रूप में, वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) हमारे देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों का समर्थन करता है और हमें हमारे छोटे बच्चों को सजीव और सशक्त नागरिक के रूप में तैयार करने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन को मनाकर, हम अपने देश के नागरिकों के रूप में हमारी अद्वितीय पहचान और गर्व को महसूस करते हैं, जो हमें एक और बेहतर भारत की ओर अग्रसर करता है।

इस तरह से, वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) हमारे देश के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें इसे ध्यान में रखकर अपने बच्चों को समृद्ध और सशक्त नागरिक बनाने के लिए काम करना चाहिए। इसी रूप में, हम अपने वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) के मनाने से अपने देश के सांस्कृतिक धरोहर को और भी मजबूती से जीवंत रख सकते हैं और एक समृद्ध और सद्गुण समृद्ध समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now
WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Share This Article