चैत्र शुक्ल प्रतिपदा | हिंदू नववर्ष | Hindu Nav Varsh
Hindu Nav Varsh 2024 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल 2024 के दिन पड़ रही है। ऐसे में हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 को मंगलवार के दिन से मानी जाएगी। भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है, जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारत वर्ष में काल गणना प्रारंभ हुई थी। कहा है कि :-
चैत्र मासे जगद्ब्रह्म समग्रे प्रथमेऽनि
शुक्ल पक्षे समग्रे तु सदा सूर्योदये सति। – ब्रह्म पुराण
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। वसंत ऋतु में वृक्ष, लता फूलों से लदकर आह्लादित होते हैं जिसे मधुमास भी कहते हैं। इतना ही यह वसंत ऋतु समस्त चराचर को प्रेमाविष्ट करके समूची धरती को विभिन्न प्रकार के फूलों से अलंकृत कर जन मानस में नववर्ष की उल्लास, उमंग तथा मादकाता का संचार करती है।
आमतौर पर नया साल 1 जनवरी पर दुनिया भर में मनाया जाता है। लेकिन हिंदू धर्म के पंचाग के अनुसार 1 जनवरी को नया साल न मनाकर इसे किसी और दिन मनाया जाता है। आइए इस लेख में जानते हैं कि हिंदू नव वर्ष कब मनाया जाता है और इस साल हिंदू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh) की शुरुआत कब से होगी।
Hindu Nav Varsh 2024 Date: हिंदू परंपरा के अनुसार 1 जनवरी को नया साल नहीं माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार नया साल चैत्र मास में शुरू होता है। हिंदू परंपरा में न्यू ईयर को महत्व न देते हुए नव संवत्सर को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। ब्रह्मांण पुराण के अनुसार, जब विष्णु जी ने सृष्टि की रचना का कार्य ब्रह्मा जी को सौंप दिया तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। जिस दिन उन्होंने सृष्टि की रचनी की तो वह दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। इसलिए इस दिन धार्मिक कार्यों को करना बेहद शुभ माना गया है।
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जिस दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है, इस दिन को देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे गुड़ी पड़वा, चेती चंड, युगादि, नव संवत्सर कहते हैं। हिंदू नववर्ष में भी 12 महीने होते हैं जिनका अपना अलग महत्व है। आइए जानते हैं कि हिंदू नववर्ष 2024 कब से शुरू हो रहा है और ये अंग्रेजी कैलेंडर से कैसे अलग होता है।
- आंध्रप्रदेश में युगदि या उगादि तिथि कहकर इस सत्य की उद्घोषणा की जाती है। वीर विक्रमादित्य की विजय गाथा का वर्णन अरबी कवि जरहाम किनतोई ने अपनी पुस्तक ‘शायर उल ओकुल’ में किया है। उन्होंने लिखा है “वे लोग धन्य हैं जिन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के समय जन्म लिया।” सम्राट पृथ्वीराज के शासन काल तक विक्रमादित्य के अनुसार शासन व्यवस्था संचालित रही जो बाद में मुगल काल के दौरान हिजरी सन् का प्रारंभ हुआ। किंतु यह सर्वमान्य नहीं हो सका, क्योंकि ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य सिद्धांत का मान गणित और त्योहारों की परिकल्पना सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण का गणित इसी शक संवत्सर से ही होता है। जिसमें एक दिन का भी अंतर नहीं होता।
- सिंधु प्रांत में इसे नव संवत्सर को ‘चेटी चंडो’ चैत्र का चंद्र नाम से पुकारा जाता है जिसे सिंधी हर्षोल्लास से मनाते हैं।
- कश्मीर में यह पर्व ‘नौरोज’ के नाम से मनाया जाता है जिसका उल्लेख पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वर्ष प्रतिपदा ‘नौरोज’ यानी ‘नवयूरोज’ अर्थात् नया शुभ प्रभात जिसमें लड़के-लड़कियां नए वस्त्र पहनकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
- हिंदू संस्कृति के अनुसार नव संवत्सर पर कलश स्थापना कर नौ दिन का व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ कर नवमीं के दिन हवन कर मां भगवती से सुख-शांति तथा कल्याण की प्रार्थना की जाती है। जिसमें सभी लोग सात्विक भोजन व्रत उपवास, फलाहार कर नए भगवा झंडे तोरण द्वार पर बांधकर हर्षोल्लास से मनाते हैं।
- इस तरह भारतीय संस्कृति और जीवन का विक्रमी संवत्सर से गहरा संबंध है लोग इन्हीं दिनों तामसी भोजन, मांस मदिरा का त्याग भी कर देते हैं।
हिंदू नव वर्ष कब है (Hindu Nav varsh 2024 date)
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल 2024 के दिन पड़ रही है। ऐसे में हिंदू नववर्ष (Hindu Nav varsh) की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 को मंगलवार के दिन से मानी जाएगी।
हिंदू नव वर्ष कैसे होता है 1 जनवरी से अलग? | Hindu Nav varsh
हिंदू पंचांग के अनुसार नए साल को नूतन संवत्सर कहा जाता है और इस समय में 2080 विक्रम संवत्सर चल रहा है। जब चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आएगी तो हिंदू पचांग के अनुसार नव वर्ष 2081 हो जाएगा। वहीं,पश्चिमी मान्यता के मुताबिक, हर साल 1 जनवरी को न्यू ईयर माना जाता है जो कि जूलियन कैलेंडर के आधार पर होता है। इन दोनों के बीच साल का अंतर होता है। जूलियन कैलेंडर में साल 2024 चल रहा है, वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार नया साल इस बार 2081 होगा। दोनों के बीच 57 साल का फर्क होता है। हिंदू नववर्ष (Hindu Nav varsh) अंग्रेजी नए साल से करीब 57 साल आगे होता है।
नव संवत्सर का इतिहास | Hindu Nav varsh
इस नव संवत्सर का इतिहास बताता है कि इसका आरंभकर्ता शकरि महाराज विक्रमादित्य थे। कहा जाता है कि देश की अक्षुण्ण भारतीय संस्कृति और शांति को भंग करने के लिए उत्तर पश्चिम और उत्तर से विदेशी शासकों एवं जातियों ने इस देश पर आक्रमण किए और अनेक भूखंडों पर अपना अधिकार कर लिया और अत्याचार किए जिनमें एक क्रूर जाति के शक तथा हूण थे।
ये लोग पारस कुश से सिंध आए थे। सिंध से सौराष्ट्र, गुजरात एवं महाराष्ट्र में फैल गए और दक्षिण गुजरात से इन लोगों ने उज्जयिनी पर आक्रमण किया। शकों ने समूची उज्जयिनी को पूरी तरह विध्वंस कर दिया और इस तरह इनका साम्राज्य शक विदिशा और मथुरा तक फैल गया। इनके कू्र अत्याचारों से जनता में त्राहि-त्राहि मच गई तो मालवा के प्रमुख नायक विक्रमादित्य के नेतृत्व में देश की जनता और राजशक्तियां उठ खड़ी हुईं और इन विदेशियों को खदेड़ कर बाहर कर दिया।
इस पराक्रमी वीर महावीर का जन्म अवन्ति देश की प्राचीन नगर उज्जयिनी में हुआ था जिनके पिता महेन्द्रादित्य गणनायक थे और माता मलयवती थीं। इस दंपत्ति ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान भूतेश्वर से अनेक प्रार्थनाएं एवं व्रत उपवास किए। सारे देश शक के उन्मूलन और आतंक मुक्ति के लिए विक्रमादित्य को अनेक बार उलझना पड़ा जिसकी भयंकर लड़ाई सिंध नदी के आस-पास करूर नामक स्थान पर हुई जिसमें शकों ने अपनी पराजय स्वीकार की।
इस तरह महाराज विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर एक नए युग का सूत्रपात किया जिसे विक्रमी शक संवत्सर कहा जाता है।
राजा विक्रमादित्य की वीरता तथा युद्ध कौशल पर अनेक प्रशस्ति पत्र तथा शिलालेख लिखे गए जिसमें यह लिखा गया कि ईसा पूर्व 57 में शकों पर भीषण आक्रमण कर विजय प्राप्त की।
कैसे मनाया जाता है हिंदू नववर्ष? | Hindu Nav varsh
हिंदू परंपरा के अनुसार, नव वर्ष यानी नव संवत्सर की पूजा की जाती है। नव वर्ष के दिन प्रथम पूज्यनीय भगवान श्री गणेश, सृष्टि के सभी प्रमुख देवी-देवताओं, वेद शास्त्र और पंचांग की पूजा आदि कर नए साल का स्वागत किया जाता है।
हिंदी धर्म में आने वाले सभी महीनों के नाम इस प्रकार हैं:- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन। चैत्र: इस माह से हिंदू नव वर्ष (Hindu Nav varsh) की शुरुआत होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह मार्च के मध्य में शुरू होता है और अप्रैल के मध्य में खत्म हो जाता है।