Mauni Amavasya 2025: कब है मौनी अमावस्या? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Ishwar Chand
5 Min Read

Mauni Amavasya 2025 Date: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। यह अमावस्या माघ माह में आती है और इसे मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत और दान का विशेष महत्व है, क्योंकि दान करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है, इसलिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध करना आवश्यक है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में पितृ दोष है। इसके अतिरिक्त, भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करना भी इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या के अवसर पर मौन व्रत रखने का भी विधान है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जिससे मौनी अमावस्या का दिन स्नान के लिए विशेष रूप से शुभ है।

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Mauni Amavasya 2025: मुहूर्त

जनवरी 28, 2025 को 19:38:50 से अमावस्या आरम्भ
जनवरी 29, 2025 को 18:08:09 पर अमावस्या समाप्त

माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्यक्ति को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र जल स्रोतों में स्नान करना चाहिए। धार्मिक दृष्टिकोण से, मौनी शब्द की उत्पत्ति मुनि से मानी जाती है। इसलिए, इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि का दर्जा प्राप्त होता है। माघ मास में स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या है, और इस दिन स्नान तथा दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

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Mauni Amavasya 2025: बन रहा है सिद्धि योग

पंचांग के अनुसार इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। मौनी अमावस्या की सुबह से लेकर रात 9 बजकर 22 मिनट तक सिद्धि योग सक्रिय रहेगा। इसके बाद व्यतीपात योग का प्रभाव होगा। यह जानना आवश्यक है कि सिद्धि योग के स्वामी गणेश जी हैं, जो शुभता का संचार करते हैं। इस योग के दौरान किए गए कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।

Mauni Amavasya 2025: धार्मिक महत्व

ज्योतिष के अनुसार, सभी अमावस्या तिथियों में मौनी अमावस्या को सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, मौनी अमावस्या पर स्नान, दान और मौन व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का विधान है, जिससे मन को शांति मिलती है। इस अवसर पर ओम नमो भगवते वासुदेवाय, ओम खखोल्काय नम:, और ओम नम: शिवाय जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।

माघ अमावस्या के दिन मौन धारण करने का विशेष महत्व है। यदि मौन रहना संभव न हो, तो कटु वचन बोलने से बचना चाहिए। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का प्रतीक माना गया है, और अमावस्या के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं होता, जिससे मन की स्थिति कमजोर हो जाती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखने का सुझाव दिया गया है, ताकि मन को नियंत्रित किया जा सके। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा का भी महत्व है।

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Mauni Amavasya 2025: व्रत और धार्मिक कर्म

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। माघ अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य, व्रत और नियम निम्नलिखित हैं-

  1. मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना आवश्यक है। स्नान के उपरांत सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
  2. इस दिन व्रत रखते हुए यथासंभव मौन रहना चाहिए। गरीब और भूखे व्यक्तियों को भोजन कराना अनिवार्य है।
  3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए।
  4. यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तो गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी किया जा सकता है।
  5. हर अमावस्या की तरह माघ अमावस्या पर भी पितरों को स्मरण करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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