Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का पर्व, कब और कैसे करें सरस्वती पूजा?

Ishwar Chand
6 Min Read
Basant Panchami 2025

Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार हर वर्ष बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ‘बसंत’ का अर्थ है वसंत ऋतु और ‘पंचमी’ का अर्थ है पांचवां दिन। इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा करने की परंपरा है। माता सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है और यह विश्वास किया जाता है कि इसी दिन उनका प्रकट होना हुआ था। बसंत पंचमी हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन से भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और महिलाएं पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं।

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यह माना जाता है कि पति और पत्नी द्वारा बसंत पंचमी के दिन भगवान कामदेव और देवी रति की षोडशोपचार पूजा करने से सुखद वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी का उल्लेख ऋषि पंचमी के रूप में किया गया है। इसके अलावा, इस दिन को श्रीपंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

Basant Panchami 2025: तिथि एवं मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का उत्सव माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो हर वर्ष जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में आता है। इसके अलावा, वसंत पंचमी के दिन का निर्धारण पूर्वाह्न काल के प्रचलन के अनुसार किया जाता है, जिसे सामान्यतः सूर्योदय और मध्य दिन के बीच की अवधि माना जाता है। यदि पूर्वाह्न काल में पंचमी तिथि प्रमुख होती है, तो वसंत पंचमी का उत्सव आरंभ होता है।

2 फरवरी, 2025
पूजा मुहूर्त : 07:06 से 12:41 तक
अवधि : 5 घंटे 34 मिनट

Basant Panchami 2025: धार्मिक महत्व

बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन देवी सरस्वती का प्रकट होना हुआ था, जिसके उपलक्ष्य में सभी देवी-देवताओं ने माँ सरस्वती की स्तुति की। इस स्तुति के फलस्वरूप वेदों की ऋचाएं उत्पन्न हुईं और वसंत राग का निर्माण हुआ। इसी कारण इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। बसंत ऋतु, जो कि छः ऋतुओं में सबसे प्रिय मानी जाती है, में प्रकृति का सौंदर्य मन को आकर्षित करता है। इस ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है।

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Basant Panchami पर संपन्न होने वाली पूजा

बसंत पंचमी का सनातन धर्म में विशेष स्थान है और इस दिन पीले रंग का प्रयोग शुभ माना जाता है। इस अवसर पर देवी सरस्वती के साथ-साथ भगवान विष्णु, कामदेव और श्रीपंचमी की पूजा की जाती है। इस दिन देवी सरस्वती की आराधना करना विशेष रूप से लाभकारी होता है, वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा इस प्रकार करें:

  • पूजा स्थल की सफाई के उपरांत गंगा जल का छिड़काव करें और ऋषि पंचमी का सम्मान करें।
  • इसके बाद देवी सरस्वती की प्रतिमा को उचित स्थान पर स्थापित करें।
  • सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश का ध्यान करें, तत्पश्चात कलश की स्थापना करें।
  • मां सरस्वती को पीले वस्त्र अर्पित करें और उन्हें रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें, फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें और अंत में उनकी आरती करें तथा पीली मिठाई का भोग अर्पित करें।

Basant Panchami 2025: श्री पंचमी पूजा का महत्व

बसंत पंचमी के अवसर पर धन की देवी लक्ष्मी और सृष्टि के पालनहार श्रीविष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अनेक भक्त माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की एक साथ आराधना करते हैं। प्रायः देवी लक्ष्मी की पूजा व्यापारियों द्वारा की जाती है, और इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ श्री सूक्त का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

Basant Panchami 2025: मान्यताएं

  • महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में नवविवाहित जोड़ों के लिए अपनी पहली बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनकर पूजा के लिए मंदिर जाना आवश्यक होता है।
  • राजस्थान में एक लोकप्रिय परंपरा के अनुसार, बसंत पंचमी के अवसर पर भक्त चमेली की माला धारण करते हैं।
  • पंजाब में इस त्योहार को वसंत ऋतु की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग पीली पगड़ी और पीले कपड़े पहनकर उत्साहपूर्वक इसका जश्न मनाते हैं। इस दिन पंजाब में कई स्थानों पर पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है।
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