Chaitra Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत की जानिए तिथि, पूजा विधि और महत्व

Ishwar Chand
8 Min Read
Chaitra Pradosh Vrat 2025

Pradosh Vrat Chaitra 2025 Date: चैत्र माह का प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत महादेव की कृपा पाने हेतु बहुत ही लाभकारी और शुभ है। इसे हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर करने का विधान है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Chaitra 2025) के समय महादेव जी के नाम का जप अवश्य करना चाहिए। यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु मंदिर में या गरीबों को दान करना चाहिए जहाँ उनकी श्रद्धा होती है।

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प्रदोष व्रत करने से महादेव काशी विश्वनाथ और मां पार्वती का ध्यान करते हुए पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सद्भावना का आगमन होता है। अब जनवरी से चैत्र माह की शुरुआत होने वाली है। जानिए, इस महीने में प्रदोष व्रत के दिन किस दिन होंगे?

Pradosh Vrat Chaitra 2025: प्रदोष व्रत कब है और शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष: पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को देर रात को 01 बजकर 42 मिनट से शुरु होगी और तिथि का समापन 27 मार्च को रात 11 बजकर 03 मिनट पर होगा। ऐसे में 27 मार्च को प्रदोष व्रत किया जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा संध्याकाल में होती है। 27 मार्च को पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 06 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक है।

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शुक्ल पक्ष: पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 09 अप्रैल को 10 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन यानी 11 अप्रैल को रात 01 बजे तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 10 अप्रैल को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 44 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक है।

Pradosh Vrat Chaitra 2025: प्रदोष व्रत का महत्व

भगवान शिव की पूजा: प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा होती है। माना जाता है कि इस दिन शिव पूजा से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति के समस्त दुखों और परेशानियों को दूर करता है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत का समय संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है।

कृत्य और व्रत: इस दिन विशेष रूप से उपवासी रहकर, व्रत किया जाता है और शिव के मंत्रों का उच्चारण होता है। प्रदोष व्रत का उद्देश्य शिव की कृपा प्राप्त करना है और यह व्रत समस्त पापों को नष्ट करने का एक साधन भी माना जाता है। यह व्रत भक्ति और संयम की साधना है।

पारिवारिक समृद्धि और सुख: प्रदोष व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत विशेष रूप से घर-परिवार में समृद्धि, सुख-शांति और बुराई से बचाव के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा करने से किसी भी प्रकार की आर्थिक या शारीरिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

नकारात्मकता से मुक्ति: प्रदोष व्रत को विशेष रूप से रात्रि के समय मनाया जाता है और इसे रात्रि पूजा के रूप में किया जाता है। यह समय नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति और पवित्रता के लिए माना जाता है, इसलिए इस दिन व्रति केवल भगवान शिव की पूजा करके अपने जीवन को शुद्ध और शांतिपूर्ण बनाने की कोशिश करते हैं।

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Pradosh Vrat Chaitra 2025: प्रदोष व्रत करने के लाभ

पापों का नाश: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

शिव की विशेष कृपा: भगवान शिव की विशेष कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

स्वास्थ्य और दीर्घायु: यह व्रत स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए भी लाभदायक माना जाता है।

रोगों से मुक्ति: प्रदोष व्रत करने से शरीर के रोगों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।

Pradosh Vrat Chaitra 2025: प्रदोष व्रत से जुड़ी कथा?

चंद्रमा के क्षय रोग की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, जिसके कारण उन्हें क्षय रोग हो गया था। इस रोग के कारण चंद्रमा की कलाएँ घटने लगीं और वे क्षीण होने लगे। चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की और उनसे अपने रोग से मुक्ति की प्रार्थना की। भगवान शिव ने चंद्रमा की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें त्रयोदशी के दिन उनके दोष का निवारण किया और उन्हें पुनः जीवन प्रदान किया। इसलिए, इस दिन को प्रदोष के रूप में मनाया जाता है।

Pradosh Vrat Chaitra 2025: प्रदोष व्रत की पूजा विधि

पूजन के लिए उपयुक्त समय: प्रदोष व्रत संध्याकाल में किया जाता है, सूर्यास्त के बाद और रात के प्रारंभिक समय में पूजा की जाती है। इसे “प्रदोष काल” कहा जाता है, जो सूर्यास्त के लगभग 2 घंटे बाद होता है।

पूजा स्थल की तैयारी: सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां दीपक लगाकर गंगाजल से शुद्ध करें। व्रति (व्रत करने वाला व्यक्ति) स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
एक चौकी या आसन पर भगवान शिव, पार्वती और नंदी का चित्र या मूर्ति रखें।

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प्रसाद तैयार करें: पूजा के लिए विशेष रूप से बेलपत्र, दूध, शहद, सफेद चंदन, धतूरा, आक के फूल, फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) तैयार करें। सच्चे मन से भगवान शिव का पूजन करने के लिए 5 तरह के फल (जैसे केले, नारियल, सेब, अनार आदि) रखें।

पूजा विधि: सबसे पहले भगवान शिव के नाम से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। फिर बेलपत्रों को भगवान शिव को अर्पित करें। शिवलिंग या भगवान शिव के चित्र पर दूध, जल और शहद अर्पित करें। धूप और दीपक से भगवान शिव का पूजन करें। खासकर प्रदोष व्रत के दिन रुद्राक्ष की माला का जाप करना शुभ माना जाता है।

आरती और मंत्रोच्चारण: पूजा के बाद “शिव जी की आरती” का पाठ करें और भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें। साथ ही “ॐ नमः शिवाय” और “मंत्रोवरं शिवाय” जैसे मंत्रों का जाप करें।

ब्राह्मण को भोजन एवं दान: पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि संभव हो तो कुछ दान भी करें, जैसे वस्त्र, अन्न या पैसे।

व्रत का संकल्प: इस दिन व्रति को प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए, और व्रत के दौरान संयमित आहार लें, जैसे शाकाहारी भोजन और मीठे पदार्थों का सेवन करें। व्रत के दौरान गपशप, झगड़े से बचने का प्रयास करें और शांति बनाए रखें।

व्रत समाप्ति: प्रदोष व्रत की पूजा संतान सुख, धन, सुख-समृद्धि और रोगों से मुक्ति के लिए होती है, इसलिए व्रत के समापन पर विशेष रूप से शिव जी का आभार व्यक्त करें।

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