Guru Purnima 2025: गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव और इसका गहरा अर्थ

Ishwar Chand
5 Min Read

गुरु पूर्णिमा का अर्थ है ‘गुरु की पूर्णिमा’। यह दिन गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का महापर्व है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि गुरु ही अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश दिखाते हैं।

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इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, उनका आशीर्वाद लेते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। यह पर्व महर्षि वेद व्यास जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और हिंदू धर्म को व्यवस्थित स्वरूप दिया। गुरु पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि जीवन में ज्ञान और सही मार्गदर्शन का क्या महत्व है। यह गुरु-शिष्य परंपरा के अनमोल रिश्ते का उत्सव है, जो पीढ़ियों से हमारी संस्कृति का आधार रहा है। यह दिन हर उस व्यक्ति के प्रति आभार व्यक्त करने का भी है जिससे हमने जीवन में कुछ सीखा है।

Guru Purnima 2025: पर्व का समय

बताएं कि गुरु पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई महीने में आती है।

गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू पंचांग के आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर हर साल जुलाई महीने में पड़ता है। साल 2025 में गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी।

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Guru Purnima 2025: ऐतिहासिक और पौराणिक

गुरु पूर्णिमा का पर्व प्राचीन भारतीय परंपराओं और पौराणिक कथाओं से गहरा जुड़ा है। इस दिन को मुख्य रूप से महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास जी ने चारों वेदों का संकलन किया, महाभारत, ब्रह्म सूत्र और पुराणों की रचना की, जिससे हिंदू धर्म और संस्कृति को एक व्यवस्थित रूप मिला। उन्हें प्रथम गुरुओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने ज्ञान को शिष्यों तक पहुंचाया।

इस प्रकार, यह पर्व केवल वेद व्यास जी को ही नहीं, बल्कि संपूर्ण गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित है। पौराणिक काल से ही ज्ञान प्राप्त करने और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए गुरु का अत्यधिक महत्व रहा है। गुरु पूर्णिमा इसी अनमोल रिश्ते का सम्मान करने और गुरुओं द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रति आभार व्यक्त करने की एक प्राचीन परंपरा है। यह हमें हमारे ज्ञानी पूर्वजों और विद्या के महत्व की याद दिलाता है।

Guru Purnima 2025: उत्सव और परंपराएं

गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य श्रद्धा और सम्मान के साथ अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। भक्त अपने गुरुओं के पास जाते हैं और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं।

पूजा में फल, फूल, मिठाई, वस्त्र और दक्षिणा आदि भेंट की जाती है। कई स्थानों पर मंदिरों, आश्रमों और मठों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोग गुरुओं के प्रवचन सुनते हैं और उनके बताए ज्ञान मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस दिन गुरुओं की महत्ता का गुणगान किया जाता है। कुल मिलाकर, गुरु पूर्णिमा का उत्सव गुरु के प्रति असीम श्रद्धा, भक्ति और आभार व्यक्त करने तथा उनके आशीर्वाद से जीवन को सफल बनाने की परंपरा है।

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Guru Purnima 2025: आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता

आधुनिक जीवन में भी गुरु पूर्णिमा की प्रासंगिकता बनी हुई है। आज गुरु का अर्थ केवल पारंपरिक शिक्षक तक सीमित नहीं है। माता-पिता, बड़े-बुजुर्ग, मार्गदर्शक, कोच या कोई भी व्यक्ति जिससे हम सीखते हैं और जो हमें सही रास्ता दिखाता है, वह गुरु समान है।

आज की जटिल और तेज़ रफ़्तार दुनिया में सही मार्गदर्शन की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। गुरु पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि हमें उन सभी लोगों के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए जिन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दिया है। यह दिन हमें सिखाता है कि सीखने की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है और हमें हमेशा विनम्र होकर ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। यह रिश्तों में सम्मान और आभार के महत्व को भी रेखांकित करता है, जो आधुनिक समाज के लिए अत्यंत आवश्यक मूल्य हैं।

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