Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि कब है, जानें तारीख, महत्व और पूजा विधि

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Maha Shivratri Kab Hai 2025: महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पार्वता और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं

पंचाग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च 2024 को रात 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च 2024 को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए प्रदोष काल पूजा मुहूर्त के हिसाब से 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है।

आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की घटना क्या है।

ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती से भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी। उनका विवाह भगवान शिव का साथ संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्त के लिए रखती हैं।

Maha Shivratri 2024: होली के पहले फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास में शिवरात्रि और फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। स दिन शिवजी की विशेष पूजा और आराधना होती है और विशेष अभिषेक किया जाता है। अधिकतर मत के अनुसार शिवजी की पूजा निशीथ काल में की जाती है। 08 मार्च 2024 शुक्रवार को रहेगी महाशिवरात्रि।

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 08 मार्च 2024 को रा‍त्रि 09:57 बजे।
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 09 मार्च 2024 को शाम 06:17 बजे।

कब है महाशिवरात्रि : Maha Shivratri 2024

चूंकि महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) की पूजा रात में होती है और वह भी निशीथ काल में इसलिए 08 मार्च 2024 को यह पर्व मनाया जाएगा। चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है।

पूजा के शुभ मुहूर्त :-

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि पर पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी

शिव पुराण की कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार सृष्टि में प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग : Maha Shivratri 2024

एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न तो आदि था और न ही अंत।

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि व्रत का शास्त्रोक्त नियम

महाशिवरात्रि व्रत कब मनाया जाए, इसके लिए शास्त्रों के अनुसार निम्न नियम तय किए गए हैं –

  • चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवाँ मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब चतुर्दशी तिथि शुरू हो और रात का आठवाँ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा हो, तो उसी दिन शिवरात्रि मनानी चाहिए।
  • चतुर्दशी दूसरे दिन निशीथकाल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ को व्याप्त करे, तो पहले दिन ही महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है।
  • उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाक़ी हर स्थिति में व्रत अगले दिन ही किया जाता है।

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  • महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करके पूजा का संकल्प लें। इसके बाद गंगा जल मिलाकर पानी से स्नान करें।
  • इसके बाद कोई नया वस्त्र पहने और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पार्वता और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कब है महाशिवरात्रि जानें तारीख और महत्व।
  • इसके बाद कच्चे दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें।
  • भगवान शिव को भांग धतूरा, फल, मदार के पत्ते बेल पत्र आदि अर्पित करें। साथ ही शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ करें। साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपना व्रत खोलें।

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति का मिलन

महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य का ध्यान करते हुए जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी का विवाह उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

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