Ahashas | Hindi Stories

Ishwar Chand
3 Min Read

अहसास

बंगलौर एयरपोर्ट पर उतर कर राघव जल्दी जल्दी बाहर निकल रहा था। बाहर उसके नाम का बोर्ड लेकर ड्राइवर खड़ा था। नौ बज चुके थे। दस बजे तक उसे हर हाल में पहुँचना था। आज उसकी बड़ी महत्वपूर्ण प्रेज़ेंटेशन थी। रात 12 बजे तक वह इस पर काम कर रहा था रह रह कर नींद के झटके भी आ रहे थे। सुबह 6 बजे की फ़्लाइट थी चार बजे धर से निकल गया था। उसने गाड़ी में अपना लैपटॉप खोला और एक बार फिर से पढ़ने लगा।

WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now

दोपहर 1:30 बजे वह अपना काम निपटा कर फिर से एयरपोर्ट की तरफ़ जा रहा था। बड़ी ख़ुशी हुई थी कि सब कुछ ठीक हो गया था।

उसने ठीक से कुछ खाया भी नहीं था। भूख लगी हुई थी फ़्लाइट में अभी समय था। एयरपोर्ट पर कुछ खा लूँगा यही सोच कर उसने अपना सिर सीट पर टिका दिया और आँखें बंद कर ली लेकिन चैन कहाँ था। रह रह कर शाम की पार्टी का ध्यान आ रहा था आज उस के बेटे का दसवाँ जन्मदिन है घर पहुँच कर उसका प्रबंध भी करना था।

अचानक गाड़ी लाल बत्ती पर रूकीं तो एक झटके में उसकी आँख भी खुल गई। बाहर उसने देखा कि सड़क के किनारे कुछ काम चल रहा है और एक मज़दूर वहीं पत्थरों पर पेड़ के नीचे आराम से सोया हुआ है। वहीं अख़बार पर एक पुराना सा खाने का डिब्बा रखा था कुछ रोटी के टुकड़े अख़बार पर थे। ठंडी हवा के झोकों में वह गहरी नींद में सो रहा था। हरी बत्ती होने पर गाड़ी अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गई। यह मंजर देखकर वह सोचने लगा कि मेरे पास सब सुख- सुविधा है फिर भी नींद जो कि एक कुदरत का दिया हुआ अनमोल तोहफ़ा है उससे मैं कितना दूर हूँ। नींद जो हर इन्सान को कई बीमारियों से मुक्त कर देती है, सब के नसीब में नहीं होती। वो मज़दूर दुनिया के सब ऐशो-आराम से वंचित है लेकिन कुदरत के इस उपहार के कितने क़रीब है।

Read More  Playschool | Hindi Story

सारी ज़िंदगी हम भोग विलासिता के चक्कर में पड़ कर ख़ुद को प्राकृतिक ख़ज़ाने से महरूम कर लेते हैं। इस लिए व्यस्त रहो मस्त रहो पर अस्त मत रहो।

Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now
WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Share This Article