Sawan Shivratri

Ishwar Chand
12 Min Read

Kawad Yatra 2024 | Sawan Shivratri

सावन मास की शिवरात्रि कब है?

इस साल सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) 15 जुलाई शनिवार के दिन मनाया जाएगा। यह 15 जुलाई को रात 8 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 16 जुलाई रात 10 बजकर 8 मिनट तक चलेगी। शिवरात्रि व्रत के पारण का समय 15 जुलाई रात 11 बजकर 21 मिनट से 12 बजकर 4 मिनट तक होगा।

WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now

सावन के पवित्र महीने की शुरुआत होने वाली है। इसी दौरान सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) भी पड़ेगी। शिव भक्तों में इस शिवरात्रि का खास महत्व होता है। हिन्दु पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन माह का शुभारंभ 4 जुलाई 2023, मंगलवार के दिन होगा। ऐसे में कावड़ यात्रा की शुरुआत इसी दिन से हो जाएगी। साथ ही यात्रा का समापन 31 अगस्त 2023। गुरुवार के दिन होगा। बता दें कि 10 जुलाई 2023 के दिन सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है

सावन शिवरात्रि का है खास महत्व

Kawad yatra

सावन मास में आने वाली शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। इस दिन महाशिवरात्रि में शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। सावन माह में शिवरात्रि के दिन कावंडिए भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। प्रत्येक बारह शिवरात्रि में से फाल्गुन और सावन माह की शिवरात्रि बेहद ही व्यापक रुप से मनाई जाती है और इन दोनों को महाशिवारात्रि के रुप में भी पुकारा जाता है। ऐसा माना जाता है जो लोग बाकी शिवरात्रि पर किसी वजह से व्रत नहीं रख पाते। तो वे सावन की शिवरात्रि पर जरूर उपवास करें। ऐसा करने से लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है और उन्हें मनचाहा फल मिलता है। मान्यता है की सावन शिवरात्रि का व्रत करने से सुख, शांति, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, रोग दूर होते हैं, आरोग्य की प्राप्ति होती है। शिव भक्त सावन शिवरात्रि को त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन भारी संख्या में लोग शिव मंदिर पहुंचकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।

इस वर्ष सावन महीने की पहली शिवरात्रि 15 जुलाई, 2023 दिन शनिवार को है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। कई स्थानों पर लोग सावन की शिवरात्रि पर महा रूद्राभिषेक करके भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं ताकि भगवान शिव की कृपा उनपर हमेशा बनी रहे। सावन महीने में भारी संख्या में शिव भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों के लोग हिस्सा लेते हैं। शिव भक्त कंधे पर कांवड़ रखकर 200-200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं।

Read More  Mahavir Jayanti 2024 | महावीर जयंती 2024

शिवरात्रि कथा

शिव पुराण के अनुसार, चित्रभानु नामक शिकारी हुआ करता था वह शिकार करके अपना गुजर बसर करता था। एक बार वह शिकार खोजने के लिए जंगल की ओर चल पड़ता है। शिकार ढूंढते-ढूंढते उसे रात हो जाती है। लेकिन शिकार नहीं मिल पाता है। वह एक बेल के वृक्ष पर चढ़ जाता है। वह भूख प्यासा उस रात के समाप्त होने की प्रतीक्षा करता है। शिकारी जिस वृक्ष पर था उस वृक्ष के नीचे ही शिवलिंग स्थापित था। शिकारी अनजाने में वृक्ष के पत्तों को तोड़ रहा था और वह पत्ते शिवलिंग पर गिर रहे होते हैं। पूरी रात इसी मे निकल जाती है। संयोगवश उस दिन शिवरात्रि का दिन होता है और शिकारी वह भूखा प्यासा रहा। जिससे उसका व्रत हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र गिरने से उसकी शिव पूजा भी हो जाती है। अनजाने में शिवरात्रि का व्रत करने से शिकारी ​चित्रभानु को मोक्ष प्राप्त होता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि व्रत रखने का विधान रहा है। चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि के रुप में मनाई जाती है। पौराणिक कथा अनुसार महा शिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे। वहीं अन्य कथा अनुसार इस दिन भगवान शिव का पार्वती जी के साथ विवाह संपन्न होता है। ऎसे में शिवरात्रि के संदर्भ में अनेकों कथाओं का पौराणिक आधार प्राप्त होता है जो इस दिन की शुभता एवं पवित्रता को दर्शाता है।

Kawad yatra

मासिक शिवरात्रि

हिन्दु पंचांग अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। ऎसे में इस शिवरात्रि को “मासिक शिवरात्रि” के रुप में जाना जाता है और मनाया भी जाता है।

महाशिवरात्रि

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार फाल्गुन मास की मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है की शिवरात्रि के दिन प्रथम दिवस पर श्री विष्णु जी और ब्रह्मा जी द्वारा शिवलिंग का पूजन किया गया था। इस दिन को शिवलिंग के उदभव से जोड़ा जाता है। शैव संप्रदाय के मानने वालों के लिए यह दिन एक अत्यंत ही महापर्व का रुप होता है । इसमें भगवान शिव एवं शिवलिंग का पूजन होता है।

Read More  Happy Durga Puja 2023 | दुर्गा पूजा 2023 कब होगी शुरू? पांच दिन के इस पर्व का महत्व

कावड़ यात्रा (Kawad Yatra) कब से शुरू हो रही है?

सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही पवित्र कावड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है। सावन के महीने में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व है। इस वर्ष कावड़ यात्रा 4 जुलाई, 2023 दिन मंगलवार से शुरू हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त, 2023 को दिन बृहस्पतिवर को होगा। इस साल अधिक मास के कारण सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा। शिव भक्तों को दो महीने कि पवन बेला के अवसर पर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद सभी शिव भक्तों पर बना रहेगा।

Kawad yatra

हिंदू धर्म में सावन मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन शिव भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं और गंगाजल शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। इस पवित्र महीने में कावड़ यात्री पवित्र गंगाजल को भरकर शिव धाम के लिए लंबी यात्रा करते हैं।

सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक कब करें

शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के साथ जुड़ा है। शिवरात्रि का दिन अत्यंत ही शुभ और मनोकामनाओं की पूर्ति वाला होता है। शिवरात्रि को कई तरह से मनाया जाता है। इस वर्ष 15 जुलाई 2023 को श्रावण शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। शिवरात्रि के पर्व समय यदि शुद्ध और सच्चे मन से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते है। भक्तों के दुख दूर कर देते हैं। शिवरात्रि का दिन भगवान आदिदेव शिव को प्रसन्न करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर संपूर्ण सावन मास के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पूरे सावन मास के दौरान शिवलिंग पर श्रद्धालुओं द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। इस समय के दौरान कांवण यात्रा का भी आरंभ होता है। कांवण यात्रा में गंगा जल को लाकर भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी कष्ट और रोगों का नाश होता है। इस समय के दौरान शिव मंदिरों, ज्योर्तिलिंगों व समस्त शिव स्थानों पर अनुष्ठा और पूजा होती है। धर्म स्थलों पर मौजूद शिवलिंग पर श्रद्धा भाव से शिव भक्त गंगाजल से जलाभिषेक करते हैं। जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे जिसमें शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जा सकता है। प्रात:काल से दोपहर तक का समय जलाभिषेक के लिए अनुकूल एवं शुभ रहेगा। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन लग्न समय शिव पूजा के लिए शुभ कहा गया है। इसके अतिरिक्त प्रदोष काल समय संपूर्ण रात्रि के समय भी जलाभिषेक के लिए उत्तम रहेगा।

Read More  Happy Holi 2024: इस साल कब है होली? जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

श्रावण शिवरात्रि जलाभिषेक समय

प्रात: 05:40 से 08:25 तक
शाम 19:28 से 21:30 तक
शाम 21:30 से 23:33 तक (निशीथकाल समय)
रात्रि 23:33 से 24:10 तक (महानिशिथकाल समय)

श्रावण शिवरात्रि पूजन विधि

सुबह के समय जल्दी उठ कर अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। पूजा की थाली में रोली मोली चावल धूप दीप सफेद चंदन सफेद जनेऊ कलावा रखना चाहिए। पीला फल एवं सफेद मिष्ठान्न गंगा जल तथा पंचामृत आदि रखना चाहिए। विधि विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ और शिवाष्टक के पाठ को भी पढ़ना चाहिए।

शिवरात्रि और उसके उपाय

श्रावण शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ करने से नौकरी व्यापार की समस्या खत्म होती है। शिव पुराण के 5 अध्याय का पाठ करना चाहिये। शिवपुराण पाठ को पढ़ने से रोग और दोष नष्ट होते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने, अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और साफ आसन पर बैठे। शिव की पूजा में धूप दीप सफेद चंदन माला और सफेद आक के 5 फूल का प्रयोग करें या ॐ नमः शिवाय की 11 माला जाप करने से विरोधि शांत होते है।

सावन मास की शिवरात्रि कब है?
हिन्दु पंचांग अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। इस साल सावन शिवरात्रि को 15 जुलाई शनिवार के दिन मनाया जाएगा।

हर साल में कितनी शिवरात्रि आती है?
हर वर्ष 12 शिवरात्रि आती है जिसमे से फाल्गुन और सावन माह की शिवरात्रि को महत्वपूर्ण माना जाता है।

कावड़ यात्रा (Kawad Yatra) कब से शुरू हो रही है?
इस वर्ष कावड़ यात्रा 4 जुलाई, 2023 दिन मंगलवार से शुरू हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त, 2023 को दिन बृहस्पतिवर को होगा।

Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now
WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Share This Article