Sawan Shivratri 2025: कब है सावन शिवरात्रि? जानें व्रत का महत्व और नियम, शिव की कृपा पाने का महापर्व

Ishwar Chand
7 Min Read

सावन शिवरात्रि व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

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इस दिन भक्तजन, विशेषकर सुहागिन महिलाएं, वैवाहिक जीवन की खुशहाली, पति की लंबी आयु और संतान सुख के लिए निर्जला या फलाहार व्रत रखते हैं। अविवाहित कन्याएं भी मनवांछित वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।

व्रत के दौरान शिवलिंग का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया जाता है तथा बेल पत्र, धतूरा, गंगाजल आदि अर्पित करके पूजा की जाती है। रात्रि में जागरण और शिव मंत्रों का जाप करना भी इस व्रत का महत्वपूर्ण अंग है। निशिता काल में पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

Sawan Shivratri 2025: सावन मास की शिवरात्रि कब है?

सावन मास की शिवरात्रि, जिसे श्रावण शिवरात्रि भी कहते हैं, साल 2025 में 23 जुलाई 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है।

Sawan Shivratri 2025: व्रत का महत्व

सावन शिवरात्रि व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस मास में आने वाली शिवरात्रि को वर्ष की मासिक शिवरात्रियों में सबसे अधिक शुभ और फलदायी माना जाता है।

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मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत जीवन के कष्टों और बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। सावन शिवरात्रि का व्रत भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है, जिससे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Sawan Shivratri 2025: व्रत की पूजा विधि

  • सुबह का संकल्प और तैयारी: व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल की सफाई करें और हाथ में जल लेकर व्रत रखने का संकल्प लें।
  • शिवलिंग/मूर्ति स्थापना और अभिषेक: पूजा स्थान पर शिवलिंग या शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल से विधिपूर्वक अभिषेक करें।
  • पुष्प और पत्र अर्पण: अभिषेक के बाद भगवान शिव को बेल पत्र (तीन पत्तियों वाला), धतूरा, भांग, मदार के फूल, फल और चंदन आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित करें।
  • भोग और दीप प्रज्वलन: भगवान शिव को मिठाई या फलाहार का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • मंत्र जाप और आरती: ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे शिव मंत्रों का पूरी श्रद्धा से जाप करें। शिव चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती उतारें। रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन कर सकते हैं।

Sawan Shivratri 2025: व्रत करने के लाभ

  • अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन: विवाहित महिलाओं द्वारा यह व्रत रखने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, पति की लंबी आयु मिलती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। अविवाहित कन्याओं को योग्य और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
  • समस्त कष्टों और बाधाओं से मुक्ति: भगवान शिव की कृपा से जीवन के सभी दुख, कष्ट, रोग और बाधाएं दूर होती हैं। नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: सच्ची श्रद्धा और भक्ति से व्रत रखने वाले भक्तों की सभी सद् इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • धन-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत को अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है, जिससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और अंततः मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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Sawan Shivratri 2025: व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • शुद्धता बनाए रखें: व्रत के दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और मन में बुरे विचार न लाएं।
  • अन्न और तामसिक भोजन से बचें: व्रत के दौरान अन्न, सामान्य नमक, प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें। फलाहार या सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
  • रात्रि पूजा पर ध्यान दें: दिन के साथ-साथ रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर निशिता काल (मध्यरात्रि) में। पूजा अवश्य करें या इसमें शामिल हों।
  • क्रोध और नकारात्मकता त्यागें: इस पवित्र दिन क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसी भावनाओं से दूर रहें। किसी की निंदा न करें और सत्य बोलें।

Sawan Shivratri 2025: व्रत से जुडी कथा?

सावन शिवरात्रि व्रत से जुड़ी एक प्रचलित कथा माता पार्वती की कठोर तपस्या से संबंधित है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने अत्यंत कठिन तपस्या और व्रत किए। उन्होंने अन्न-जल त्याग कर वर्षों तक घोर तपस्या की।

उनकी इस अटूट भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (जिसे सावन शिवरात्रि कहते हैं) पर भगवान शिव प्रकट हुए और माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

माना जाता है कि तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए, तथा कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए सावन शिवरात्रि का व्रत रखती हैं। यह कथा प्रेम, समर्पण और अटूट विश्वास का प्रतीक है।

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