Janmashtami 2024 : कृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है? जाने सही तिथि और मुहूर्त

Ishwar Chand
7 Min Read

Janmashtami 2024

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी तथा शुभ मुहूर्त और तिथि?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) को प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में दुष्ट राजा कंस के कारागृह में देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। कृष्ण जी का जन्म अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 

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कृष्ण जन्माष्टमी महत्व?

जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू मान्यताओं में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि के दिन मध्य रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण (Sri Krishna) का जन्म हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं, रात के समय ही भगवान के भजन-कीर्तन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन सभी मंदिरों को बहुत अच्छे से सजाया जाता है और साथ ही कई जगहों पर इस दही हांडी का आयोजन भी किया जाता है। सभी लोग इस दिन को बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाते है।

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जन्माष्टमी का उद्देश्य भगवान कृष्ण के अवतार का स्मरण करना है और इसे खुशी और भक्ति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण को हिंदू धर्मग्रंथों में एक प्रमुख देवता माना जाता है, उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। उनका जन्म दिवस, जिसे जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है, अत्यधिक महत्व रखता है। जन्माष्टमी के दौरान, भक्त मंदिरों में भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं। वे पूजा, अर्चना, भजन-कीर्तन करते हैं, और भगवान कृष्ण के दिव्य नामों का जाप करते हैं। कई स्थानों पर, जन्माष्टमी के साथ-साथ जीवंत मेलों और उत्सवों का भी आयोजन किया जाता है। जन्माष्टमी का एक मुख्य आकर्षण रास लीला का प्रदर्शन है, जो एक पारंपरिक नृत्य-नाटिका है जिसमें भगवान कृष्ण की बचपन की गतिविधियों, विशेष रूप से गोपियों (ग्वालों) के साथ उनकी चंचल बातचीत को दर्शाया गया है। रास लीला भगवान कृष्ण और उनके भक्तों के बीच दिव्य प्रेम और भक्ति को चित्रित करती है, जो सर्वोच्च परमात्मा के साथ व्यक्तिगत आत्मा के आनंदमय मिलन का प्रतीक है।

Janmashtami

यह त्यौहार दही हांडी समारोह का भी प्रदर्शन करता है, जहां दही, मक्खन और अन्य व्यंजनों से भरा मिट्टी का बर्तन ऊंचाई पर लटकाया जाता है। युवाओं के उत्साही समूह भगवान कृष्ण के बालरूप के स्वरूप का अनुकरण करते हुए, जो मक्खन चुराने के शौकीन थे, मटकी तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। जन्माष्टमी न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो लोगों को उत्सव में एक साथ लाता है। यह भक्तों को प्रेम, करुणा, धर्म और भक्ति के आदर्श सिखाता है जिनका उदाहरण भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर अपने समय के दौरान दिया था। यह त्यौहार धर्म के मार्ग पर चलने और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयास करने, सांसारिक आसक्तियों को पार करने और दिव्य प्रेम को अपनाने की याद दिलाता है।

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भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा

जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- ‘अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।’ उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।

अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो पैदा हो चुका है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।’ यह है कृष्ण जन्म की कथा।

जन्माष्टमी को किसका जन्म हुआ था?
भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन पूरे भारतवर्ष में उनका जन्मदिन त्यौहार रूप में मनाया जाता है।

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त 2024 को है।

कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है।

कृष्ण भगवान की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?
रुक्मिणी भगवान कृष्ण की पत्नी थीं। रुक्मिणी को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रेम विवाह किया था

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