Krishn Janmashtami 2025: व्रत कब है, क्या है महत्व और पूजन की संपूर्ण विधि

Ishwar Chand
7 Min Read

Krishn Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रखा जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है, क्योंकि इसी पावन तिथि की मध्यरात्रि को मथुरा में कंस के कारागार में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

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इस दिन भक्तजन, श्रीकृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करने के लिए, पूरे दिन निर्जला (बिना जल) या फलाहार व्रत रखते हैं। घरों और मंदिरों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन किए जाते हैं। रात ठीक 12 बजे, कृष्ण जन्म के समय, बाल गोपाल की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है, उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और विशेष भोग (जैसे माखन-मिश्री, पंजीरी) अर्पित किया जाता है।

मध्यरात्रि पूजा के बाद भक्त व्रत का पारण करते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना के लिए भी रखा जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गहरी आस्था और भक्ति का प्रतीक है।

Krishn Janmashtami 2025: व्रत कब है?

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। साल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी व्रत में पूजा का सबसे शुभ और मुख्य समय निशिता काल होता है, जो कि मध्यरात्रि का समय होता है। 15 अगस्त 2025 की मध्यरात्रि में निशिता पूजा का समय 12:04 AM से 12:47 AM (16 अगस्त) तक रहेगा। व्रत का पारण मध्यरात्रि पूजा के बाद किया जाता है।

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Krishn Janmashtami 2025: व्रत का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत का गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। यह व्रत भक्तों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम, श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का माध्यम है। ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर करते हैं। यह व्रत जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाता है, पापों का नाश करता है और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है।

विशेष रूप से, यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। अविवाहित कन्याएं उत्तम और मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं।

व्रत के दौरान भक्तजन अन्न-जल त्यागकर अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, जो एक प्रकार की तपस्या है। मध्यरात्रि में भगवान के जन्म के समय विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक और भोग लगाने से व्रत पूर्ण होता है। यह पर्व हमें धर्म के मार्ग पर चलने और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का पालन करने की प्रेरणा देता है, जिससे जीवन में शांति और आनंद का वास होता है। यह सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि भगवान के साथ एकाकार होने का एक पवित्र अवसर है।

Krishn Janmashtami 2025: व्रत की पूजा विधि

  • सुबह का स्नान और संकल्प: जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, संभव हो तो पीले वस्त्र धारण करें। पूजा घर की सफाई करें और हाथ में जल लेकर श्रद्धापूर्वक व्रत और रात्रि पूजन का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल की तैयारी और बाल गोपाल की स्थापना: शाम या रात में पूजा के लिए स्थान तैयार करें। चौकी या पाटे पर लाल/पीला वस्त्र बिछाएं। भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप (लड्डू गोपाल) की मूर्ति को पालने या आसन पर स्थापित करें। पालने को सजाएं।
  • मध्यरात्रि अभिषेक: रात्रि 12 बजे, ठीक जन्म के समय, शंख या किसी पात्र से दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल और शुद्ध जल से क्रमवार बाल गोपाल का अभिषेक करें।
  • श्रृंगार और नैवेद्य अर्पण: अभिषेक के बाद मूर्ति को पोंछकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। उन्हें फूलों से सजाएं। माखन-मिश्री, पंजीरी, फल, मिठाई और तुलसी दल सहित विभिन्न प्रकार के सात्विक पकवानों का भोग लगाएं।
  • भजन-कीर्तन, आरती और पारण: श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनें या पढ़ें। ‘हरे कृष्ण’ मंत्र या अन्य कृष्ण मंत्रों का जाप करें। बांसुरी, शंख आदि बजाएं। अंत में कपूर या बाती से भगवान की प्रेमपूर्वक आरती उतारें। पूजा संपन्न होने पर प्रसाद वितरण करें और स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
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Krishn Janmashtami 2025: व्रत करने के लाभ

  • पापों से मुक्ति और कष्टों का नाश: यह व्रत श्रद्धापूर्वक करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवन के सभी दुख-कष्ट दूर होते हैं।
  • संतान सुख और परिवार की खुशहाली: जो दंपत्ति संतानहीन हैं, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही, यह व्रत परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाता है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: सच्चे हृदय से व्रत रखने वाले भक्त की सभी सात्विक और उचित मनोकामनाएं भगवान श्रीकृष्ण अवश्य पूर्ण करते हैं।
  • मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति: भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति मोक्ष का मार्ग दिखाती है। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है, मन को शांति प्रदान करता है और भक्त को भगवान के करीब ले जाता है।

Krishn Janmashtami 2025: व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • अन्न और नमक का त्याग: व्रत के दिन अन्न (अनाज) और सामान्य नमक (सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं, यदि फलाहार व्रत है) का सेवन न करें। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार निर्जला या फलाहार व्रत का पालन करें।
  • व्रत का पारण: व्रत का पारण (व्रत खोलना) केवल मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और पूजा संपन्न होने के बाद ही करें। बिना पूजा और भोग लगाए व्रत न खोलें।
  • सात्विक आचरण: मन, वचन और कर्म से शुद्धता बनाए रखें। किसी की निंदा न करें, झूठ न बोलें, क्रोध और अहंकार से बचें। सात्विक विचारों पर ध्यान केंद्रित करें।
  • भगवान पर ध्यान केंद्रित: पूरे दिन और रात भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करें। भजन-कीर्तन करें, मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें। अपना समय व्यर्थ की गतिविधियों में नष्ट न करें।
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