Happy Dhanteras 2023 | धनतेरस 2023 कब है और क्यों मनाया जाता है?

Ishwar Chand
8 Min Read

Dhanteras 2023 kab hai?

दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। लोग दिवाली और उसके आस-पास पड़ने वाले त्योहारों का पूरे साल भर इंतजार करते हैं। दीपावली को दीपों का त्योहार कहा जाता है। ये दीप पर्व पूरे 5 दिन तक चलता है जिसकी शुरुआत धनते (Dhanteras) से हो जाती है। धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर महाराज की पूजा की जाती है। धन तेरस या धन त्रयोदशी कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2023 में धनतेरस 10 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी, वहीं दिवाली इसके 2 दिन बाद 12 नवंबर को मनाई जाएगी।

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धनतेरस के दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। घर, गाड़ी, सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं को खरीदने के लिए धनतेरस का दिन सबसे ज्‍यादा शुभ माना गया है। कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी कि धनतेरस 10 नवंबर की दोपहर 12:35 बजे से प्रारंभ होगी और 11 नवंबर की दोपहर 01:57 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:02 बजे से रात 08:00 बजे तक करीब 1 घण्टा 58 मिनट का रहेगा।

Dhanteras

धनते (Dhanteras) के अन्य नाम धनत्रयोदशी और धन्वंतरी जयंती हैं। धनतेरस, भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन, दिवाली से दो दिन पहले हिंदू मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि के हाथ में अमृत से भरा कलश था जब उन्होंने पहली बार प्रकट किया था। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि उन्हें आयुर्वेद का देवता माना जाता है। इसी धनत्रयोदशी ही वो पहला दिन है जिस दिन से दिवाली की शुरुवात होती है भारत में।

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भारत देश में धनते (Dhanteras) पर्व की काफी ज्यादा धूम धाम देखी जाती है। दीपावली को हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है और दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होती है। इस दिन से घरों मंदिरों में दिए जलाने की शुरुआत की जाती है जो कि दीपावली पर्व के पूर्णत: समाप्त होते तक जलाए जाते हैं। इस दिन हिन्दू धर्म में माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा पाठ की जाती है। या दिन दिए जलाना और किसी नए सामान की खरीदी करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

सबसे महत्वपूर्ण हिंदू प्रसिद्ध त्योहारो में से एक धनते (Dhanteras) है। माना जाता है कि दीपावली की शुरुआत धनते (Dhanteras 2023) उत्सव से हुई थी। कार्तिक कृष्ण पक्ष में भगवान धन्वंतरि का जन्म त्रयोदशी के दिन हुआ था। इस वजह से, इस तिथि को कभी-कभी “धनत्रयोदशी” या “धनते (Dhanteras 2023)” कहा जाता है। धनतेरस के दिन लोग देवी लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म मानता है कि धनतेरस का दिन किसी के धन को तेरह गुना करने का दिन होता है, जिससे यह बहुत ही भाग्यशाली दिन होता है।

धनतेरस (Dhanteras celebrated 2023) का पर्व क्यों मनाया जाता है?

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इसीलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं।

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भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने का सम्मान करने के लिए, धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। चूंकि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेदिक देवता माना जाता है, इसलिए समृद्धि और स्वास्थ्य दोनों इस त्योहार से जुड़े हैं। इस दिन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जबकि कुबेर की पूजा समृद्धि पाने के लिए की जाती है। इस दिन नए बरतन, सोने-चांदी के आभूषण आदि खरीदना आम बात है। विशेष रूप से धनतेरस के दौरान कार, कपड़े, अचल संपत्ति और घरेलू बर्तन जैसी चीजों की खरीद को प्राथमिकता दी जाती है।

Dhanteras

धनतेरस की महत्ता (Importance of Dhanteras 2023)

हिंदू धर्म धनतेस (Dhanteras 2023) के दौरान पूजा करने और नई वस्तुओं की खरीद पर एक उच्च मूल्य रखता है। इस दिन अक्सर यह माना जाता है कि खरीदारी में तेरह गुना वृद्धि होती है। विशेष रूप से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने का विशेष महत्व है। इसका मुख्य कारण यह है कि भगवान धन्वंतरि ने पहली बार प्रकट होने पर कलश के आकार का एक बर्तन उठाया था। इस तथ्य के कारण कि भगवान धन्वंतरि को पीले और धातु तांबे दोनों रंगों का आनंद मिलता है, लोग इस दिन चांदी या तांबे के बर्तन खरीदने पर अधिक जोर देते हैं।

धनतेरस पूजा विधि

धनते (Dhanteras) के दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी एवं कुबेर देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ मुहूर्त कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की स्थापना करें साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी मूर्ति या चित्र स्थापित करें सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित करें दीपक जलाएं साथ ही ऊं ह्रीं कुबेराय नमः मंत्र का जाप करें।

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धनते (Dhanteras 2023) की पूजा के लिए तैयार करने के लिए चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं, फिर उन पर भगवान धन्वंतरी, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्तियों को पवित्र गंगा जल छिड़क कर रखें। प्रत्येक देवता के सामने घी का दीपक के अलावा धूप और अगरबत्ती जलाएं। उसके बाद भगवान को फूल चढ़ाने के अलावा कोई भी नया बरतन, आभूषण या अन्य सामान जो आपने खरीदा था, रख लें। पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का पाठ करें। फिर धन्वंतरि स्तोत्र के बाद लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।

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