भारतीय दंड संहिता 2023 | Indian Penal Code 2023
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और 1973 की भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) को बदल देगा यह कानून। जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों, साइबर अपराधों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मज़बूती प्रदान करने के लिए IPC में कई नए बदलाव किए गए हैं। यह कानून भी आपराधिक प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाने के लिए बदलाव किया गया है
Indian Penal Code को भारतीय संसद द्वारा 2022 में पारित किया गया था और यह 2023 में लागू हुआ। यह कानून भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा और यह भारत को अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने में मदद करेगा। Indian Penal Code एक महत्वपूर्ण कानूनों का संग्रह है। जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को सुधारने की उम्मीद रखती है। यह कानून भारत को अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने में मदद करेगा।
IPC के कुछ प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कठोर सजा दी जाएगी : जैसे की किसी महिला को धोखा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए अब 10 साल से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है।
साइबर अपराधों को कठोर सजा दी जाएगी : जैसे किसी व्यक्ति को धमकी देने या अपमानित करने के लिए अब 3 साल से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जाएगा : जैसे की किसी व्यक्ति को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अब 10 साल से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है।
आपराधिक प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाया जाएगा: जैसे अब विशेष अदालतें गठित की जाएंगी, जो आपराधिक मामलों की सुनवाई तेजी से कर सकेंगी।
पीड़ितों के अधिकारों को मजबूत किया जाएगा: जैसे अब पीड़ितों को मुआवजा पाने का अधिकार होगा और उन्हें अदालत में गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा।
न्याय के लिए पहुंच को आसान बनाया जाएगा: अब पीड़ितों को अपने मामलों को निपटाने के लिए सरकारी सहायता प्राप्त होगी।
भारतीय न्याय संहिता 2023 मूल रूप से महिलाओ और बच्चो के खिलाफ अपराध , साइबर अपराध, आतंकवाद, आपराधिक प्रक्रिया, पीड़ितों की अधिकार, न्याय के लिए पहुंच वगैरह मुद्दों को ज्यादा सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने की कोशिश की गयी है।
भारत सरकार द्वारा संशोधित IPC के कानून (IPC Sections List)
अपराध | पहले | अब |
---|---|---|
हत्या | धारा-302 | धारा-101 |
धोखाधड़ी | धारा-420 | धारा-316 |
भीड़भाड़-हंगामा | धारा-144 | धारा-187 |
देश के खिलाफ षड्यंत्र | धारा-121 | धारा-145 |
देश के खिलाफ गतिविधियां | धारा-121ए | धारा-146 |
मानहानि | धारा- 499 | धारा-354 |
रेप | 376 | धारा-63 में रेप, 64 में सजा, गैंगरेप 70 में |
मानहानि | सेक्शन 499 और 500 | धारा-354 |
धरना प्रदर्शन या दंगा-फसाद | 147, 148, 149 | नया सेक्शन |
निषेधाज्ञा के उल्लंघन पर | सेक्शन 188 | नया सेक्शन |
राजद्रोह कानून | धारा- 124 ए | धारा-150 |
किस कानून में कितनी धाराएं ?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
भारतीय साक्ष्य विधेयक (Indian Evidence Act)
भारतीय साक्ष्य विधेयक (Indian Evidence Act) को बदलेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव के लिए तीन नए विधेयक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किए गए। इन विधेयकों में से एक भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 है जिसे 1872 के पुरातन भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act 1872) को आधुनिक बनाने के इरादे से बनाया गया है। प्रस्तावित कानून साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की स्वीकार्यता स्थापित करता है, जो पारंपरिक कागजी दस्तावेजों के साथ उनकी कानूनी स्थिति को बराबर करता है।
यह विधेयक वर्तमान साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) के भीतर पांच मौजूदा प्रावधानों को समाप्त करता है, 23 प्रावधानों में बदलाव लाता है और एक नया प्रावधान पेश करता है। इसके अतिरिक्त, विधेयक में 23 खंडों में संशोधन का सुझाव दिया गया है और इसमें कुल 170 खंड शामिल हैं। विशेष रूप से, बिल यांत्रिक साधनों, दस्तावेज़ समकक्षों और दस्तावेज़ सामग्री के मौखिक विवरणों के माध्यम से उत्पन्न प्रतिकृतियों को शामिल करने के लिए स्वीकार्य माध्यमिक साक्ष्य के दायरे का विस्तार करता है। इस विधायी पहल के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य परीक्षण कार्यवाही के दौरान साक्ष्य को संभालने के लिए सटीक और सुसंगत नियम स्थापित करना है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन पुराने कानून जो गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे और जिसे ब्रिटेन की संसद ने 1860 (Indian Penal Code 1860) में पारित किया था। कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर। हम भारतीय दंड संहिता (IPC) में नए कानून लाये हैं।
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के कानूनों में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है। आशा करते है सभी को भारतीय न्याय व्यवस्था में हुए बदलाव पसंद आएंगे। भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए इस बदलाव को लेकर आप सभी अपने विचार व्यक्त कर सकते है।