Labour Day 2024, May Day 2024 : श्रमिकों और श्रमिक आंदोलनों के संघर्ष और बलिदान को याद करने के लिए हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मई दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day)भी कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का उद्देश्य श्रमिकों के मूल्य और समाज के निर्माण में उनकी भूमिका पर जोर देना है। ये दिन मजदूरों के अधिकार, न्याय और कामकाजी स्थिति पर बात करने, दिक्कतों को जानने और सुधार करने से जुड़ा हुआ है। भारत में भी कई राज्य सरकारें अपने यहां अवकाश घोषित करती हैं। साल 1886 में मजदूर दिवस की शुरुआत हुई थी। यह दिन मजदूरों के महत्व, सम्मान, एकता और अधिकारों के समर्थन में मनाया जाता है।
International Labour Day 2024: 1 मई को ही क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस?
इस दिन की शुरुआत 19 वीं शताब्दी के आसपास अमेरिका में एक संघ आंदोलन के रूप में हुई थी। मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस द्वारा एक प्रस्ताव अपनाया गया जिसमें श्रमिकों से 8 घंटे से अधिक काम न लेने की मांग की गई और तब से यह एक कार्यक्रम बन गया और 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
दुनियाभर में मई माह में मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है। श्रमिकों के लिए एक दिन समर्पित करने का बड़ा कारण है। मजदूर दिवस मनाने का महत्व विभिन्न देशों में अलग-अलग हो सकता है लेकिन यह एक संदेश देता है कि मजदूरों का योगदान समाज में महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान व न्याय मिलना चाहिए।
मजदूर समाज की आधारभूत ढांचे को सुनिश्चित करते हैं। वे श्रम करके उत्पादन का संचालन करते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास संभव होता है। श्रमिकों का समाज में योगदान न केवल आर्थिक रूप से है, बल्कि उनके अधिकारों और सामाजिक स्थिति के मामले में भी महत्वपूर्ण है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत हुई।
मजदूर दिवस का इतिहास : Labour Day
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) हर साल 1 मई को मनाया जाता है। मजदूर दिवस पहली बार 1889 में मनाने का फैसला लिया गया। हालांकि इसकी शुरुआत 1886 से ही हो गई थी। इसे मनाने की आवाज अमेरिका के शिकागो शहर में बुलंद हुई, जब मजदूर सड़क पर उतर आए ।
क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस?
1886 से पहले अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए हड़ताल शुरू की। आंदोलन की वजह मजदूरों की कार्य अवधि थी। उन दिनों मजदूर एक दिन में 15-15 घंटे कार्य करते थे। आंदोलन के दौरान पुलिस में मजदूरों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए।
मजदूरों की कार्य अवधि कम करने की मांग
घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें तय किया गया कि हर मजदूर की प्रतिदिन का कार्य अवधि 8 घंटे ही होगी। वहीं एक मई को मजदूर दिवस (Labour Day) के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। बाद में अमेरिकी मजदूरों की तरह ही दूसरे देशों में भी श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने का नियम लागू कर दिया गया।
भारत में मजदूर दिवस : Labour Day
1 मई 1889 में अमेरिका के मजदूर दिवस मनाने के प्रस्ताव के 34 साल बाद भारत में मजदूर दिवस (Labour Day) मनाने की शुरुआत हुई। देश में मजदूर अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठी तो 1 मई 1923 में पहली बार चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया।
यह दिन श्रमिकों की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए कार्यक्रमों और सेमिनारों के साथ मनाया जाता है। मजदूर वर्ग को शिक्षित करने के लिए लोग रैलियां और परेड भी आयोजित करते हैं।
Read More:
- Rohit Sharma Birthday: जाने कैसे और किसके साथ मनाया रोहित शर्मा ने अपना 37 वा जन्मदिन।
- Kotak Mahindra Bank: कोटक महिंद्रा बैंक पर चला आरबीआई का डंडा, ऑनलाइन नए कस्टमर्स जोड़ने और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने पर RBI ने लगाई रोक
- Heat Wave : भीषण गर्मी में लू (Heat stroke) से बचने के महत्वपूर्ण उपाय
- Sachin Tendulkar Biography: सचिन तेंदुलकर के 51वें जन्मदिन पर जानते हैं उनकी कुछ रोचक बातें