Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन उनके त्रिविक्रम स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है।
‘अपरा’ का अर्थ है ‘अपार’ या ‘असीम’। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को असीम पुण्य फल प्राप्त होता है और उसके द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह व्रत ब्रह्महत्या, परनिंदा, झूठी गवाही जैसे गंभीर पापों के प्रायश्चित्त के लिए भी उत्तम है।
इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से धन-धान्य, कीर्ति, पुण्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। व्रती इस दिन उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, कथा सुनते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस व्रत के पालन से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और अंततः मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
Apara Ekadashi 2025: शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि: गुरुवार, 22 मई 2025
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 21 मई 2025 को प्रातः 05:46 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 22 मई 2025 को प्रातः 06:01 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 23 मई 2025 को प्रातः 05:25 बजे से प्रातः 08:10 बजे के बीच।
Apara Ekadashi 2025: व्रत का महत्व
हिन्दू धर्म में अपरा एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी को ‘अचला एकादशी’ भी कहा जाता है। ‘अपरा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘अपार’ या ‘असीम’, जो इस व्रत से मिलने वाले अनन्त पुण्य फल की ओर संकेत करता है।
इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए अनेक पापों से मुक्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत ब्रह्महत्या, परनिंदा, झूठी गवाही देने जैसे गंभीर पापों के दुष्प्रभावों को भी नष्ट करने में सक्षम है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से कीर्ति, पुण्य, धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपरा एकादशी का व्रत रखता है, उसे प्रेत योनि जैसी निम्न योनियों से छुटकारा मिलता है और वह समस्त पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के धाम, वैकुंठ को प्राप्त करता है। यह व्रत भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त करने का एक सुगम मार्ग माना जाता है।
Apara Ekadashi 2025: व्रत की पूजा विधि
- एकादशी से एक दिन पहले, दशमी तिथि को सूर्यास्त से पूर्व सात्विक भोजन करें। इस दिन और एकादशी के दिन तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि) का त्याग करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को पवित्र करें। हाथ में जल, अक्षत, फूल और दक्षिणा लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उनका आवाहन करें, उन्हें पंचामृत और जल से स्नान कराएं। पीले वस्त्र, चंदन, रोली, अक्षत, पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें। धूप और दीपक जलाएं। फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं और जल अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अपरा एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और शंख ध्वनि करें। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें और भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
- पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। अपनी क्षमतानुसार निर्जल या फलाहार व्रत रखें। दिन में न सोएं और भगवान के ध्यान में समय बिताएं। यदि संभव हो तो रात्रि जागरण करें। अगले दिन द्वादशी को सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में भगवान की पूजा करके किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं और दान दें। इसके बाद सात्विक भोजन से व्रत खोलें, जिसमें चावल अवश्य शामिल करें।
Apara Ekadashi 2025: व्रत करने के लाभ
- इस व्रत से अपार पुण्य प्राप्त होता है और जाने-अनजाने में किए गए गंभीर पाप भी नष्ट होते हैं।
- व्रत का पुण्य अर्पित करने से पितरों और अकाल मृत्यु वालों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।
- श्रद्धापूर्वक व्रत करने से धन-धान्य, मान-सम्मान और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा दिलाता है और अंततः मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
Apara Ekadashi 2025: व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
आहार एवं तामसिक त्याग: एकादशी के दिन सभी प्रकार के अन्न का त्याग करें और अपनी क्षमतानुसार निर्जल या फलाहार व्रत रखें। दशमी और एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि तामसिक पदार्थों का सेवन न करें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
आचरण एवं मन की शुद्धि: एकादशी के दिन सोना नहीं चाहिए, बल्कि भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन, ध्यान या धार्मिक पाठ करना चाहिए। क्रोध, झूठ, निंदा जैसे नकारात्मक विचारों से बचें और सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
श्रद्धापूर्वक पूजा एवं कथा: भगवान विष्णु की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। उन्हें तुलसी दल अर्पित करें (एक दिन पहले तोड़कर रखें)। अपरा एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें, क्योंकि यह व्रत का महत्वपूर्ण अंग है।
शारीरिक क्षमता एवं पारण: व्रत रखने से पहले अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें। द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान की पूजा के बाद ही व्रत खोलें (पारण करें)। यदि संभव हो तो किसी जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें। महत्वपूर्ण है कि व्रत के दौरान मन भगवान के प्रति समर्पित रहे।
Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी से जुडी कथा?
एक गरीब ब्राह्मण रहता था, जो हमेशा दान-दक्षिणा पर निर्भर रहता था। एक बार, उसे कई दिनों तक कुछ भी खाने को नहीं मिला। भूख से व्याकुल होकर, वह एक धनी व्यक्ति के घर गया, लेकिन उसने ब्राह्मण का अपमान किया और उसे खाली हाथ लौटा दिया।
ब्राह्मण बहुत दुखी हुआ और जंगल की ओर चल पड़ा। जंगल में उसे एक साधु मिले। ब्राह्मण ने अपनी व्यथा साधु को सुनाई। साधु ने ब्राह्मण को अपरा एकादशी के व्रत के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत के पुण्य से सभी प्रकार के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।
ब्राह्मण ने साधु की बात मानकर श्रद्धापूर्वक अपरा एकादशी का व्रत रखा। उसने पूरे दिन उपवास किया और भगवान विष्णु की पूजा की। अगले दिन, जब उसने व्रत खोला, तो उसे एक धनी व्यक्ति से भोजन और दान प्राप्त हुआ। धीरे-धीरे, उस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण की गरीबी दूर हो गई और वह सुखी जीवन जीने लगा।
यह लघु कथा अपरा एकादशी के महत्व को दर्शाती है कि यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि दुख और दरिद्रता से भी मुक्ति दिलाता है।