Devshayani Ekadashi 2025: व्रत कथा, तिथि, पारण समय व महत्त्व

Ishwar Chand
4 Min Read

Devshayani Ekadashi 2025, जिसे आषाढ़ शुक्ल एकादशी व्रत या विष्णु शयन दिवस (Vishnu Shayan Divas) भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के शयन पर जाने की एक पवित्र तिथि है। इस दिन से चातुर्मास (Chaturmas 2025) आरंभ होता है — चार महीने तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। यह व्रत पुण्य, मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है।

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देवशयनी एकादशी 2025 की तिथि व पारण समय (Devshayani Ekadashi Date and Parana Time)

एकादशी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 7 जुलाई 2025, प्रातः 09:02 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: मंगलवार, 8 जुलाई 2025, प्रातः 07:17 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का समय): 8 जुलाई 2025 को प्रातः 07:17 से 09:41 बजे तक

देवशयनी एकादशी का महत्त्व (Significance of Devshayani Ekadashi)

भगवान विष्णु इस दिन क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।
इस एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होता है — यह साधना और तप का काल होता है।
जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसे 100 यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है।
यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्त करता है और आत्मा की शुद्धि करता है।
यह Lord Vishnu Sleep Ekadashi भक्तों के लिए आत्मिक जागरण का अवसर है।

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देवशयनी एकादशी व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

प्राचीन काल में मांधाता नामक एक धर्मात्मा राजा राज्य करता था। एक समय उसके राज्य में अकाल पड़ा। ऋषियों ने बताया कि राजधर्म के पालन हेतु राजा को आषाढ़ शुक्ल एकादशी व्रत (Ashadh Shukla Ekadashi Vrat) करना चाहिए। राजा ने व्रत किया, जिससे वर्षा हुई और सुख-समृद्धि लौटी। तब से यह व्रत सम्पूर्ण कल्याण का प्रतीक माना जाता है।

देवशयनी एकादशी व्रत कैसे करें? (Devshayani Ekadashi 2025 Date and Puja Vidhi)

  1. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की पीले वस्त्र, तुलसी, दीप, धूप व पंचामृत से पूजा करें।
  3. पूरे दिन उपवास रखें — फलाहार या जल पर रह सकते हैं।
  4. भगवान विष्णु के मंत्र जपें और व्रत कथा का पाठ करें।
  5. रात्रि जागरण कर अगली सुबह ब्राह्मणों को दान देकर व्रत पारण करें।

देवशयनी एकादशी क्यों मनाई जाती है? (Why Devshayani Ekadashi is Celebrated)

भगवान विष्णु के शयन का दिन है, जिससे चार महीनों के धार्मिक नियम आरंभ होते हैं।
यह दिन आध्यात्मिक निष्ठा, तपस्या और संयम का प्रतीक है।
यह व्रत जीवन के पापों से मुक्ति और चातुर्मास की सिद्धि का मार्ग है।

देवशयनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें?

करें:

व्रत, उपवास, पूजा और रात्रि जागरण करें
तुलसी के पत्तों से भगवान विष्णु की पूजा करें
संयम, सात्विक भोजन और सेवा भाव रखें

न करें:

प्याज, लहसुन, अनाज या तामसिक वस्तुओं का सेवन
क्रोध, झूठ, वाद-विवाद से बचें
कोई भी शुभ कार्य (शादी आदि) चातुर्मास में न करें

Devshayani Ekadashi 2025 आध्यात्मिक जागरण, संयम और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस दिन व्रत रखने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-शांति और मोक्ष प्राप्ति भी होती है।

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