Happy Durga Puja 2023 | दुर्गा पूजा 2023 कब होगी शुरू? पांच दिन के इस पर्व का महत्व

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दुर्गा पूजा 2023 कब होगी शुरू? पांच दिन के इस पर्व का महत्व

DURGA PUJA

शारदीय नवरात्रि के छठे दिन से दुर्गा पूजा (Durga Puja 2023) शुरू हो जाती है जो दशहरा तक चलती है। दुर्गा पूजा बंगाली समुदाय का विशेष पर्व है। सर्व पितृ अमावस्या के बाद 9 दिन के शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होगी। देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम रहती है लेकिन पश्चिम बंगाल में नवरात्रि की रौनक कुछ अलग ही होती है। बंगाली समुदाय में नवरात्रि को दुर्गा पूजा (Durga Puja 2023) के नाम से जाना जाता है। दुर्गा पूजा का उत्सव 5 दिन तक परंपरागत तौर पर मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा (Durga Puja 2023) को माँ दुर्गा द्वारा दुष्ट राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्‍ति की खुशी में मनाया जाता है, इसलिए माँ को दुर्गतनाशिनी (भक्तों के संरक्षक) के रूप में पूजा जाता है। बंगाल, असम और ओडिशा में पूजा को पूजो के रूप में प्रख्यातित है। महालया से उत्सव प्रारंभ होता है, इस दिन से मूर्तियों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाता है। परंतु वास्तविक पूजो महा षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में परिभाषित की गयी है।

दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा का समापन हो जाता है। पश्चिमी बंगाल की दुर्गा पूजा को 15 दिसंबर 2021 को UNSCO में मानवता द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में सम्मिलित किया गया है। दुर्गा पूजा की यह विशेषता इस पर्व के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष के लिए गौरवान्वित का विषय है।

दुर्गा पूजा 2023 डेट (Durga Festival 2023 Date)

इस साल दुर्गा पूजा 20 अक्टूबर 2023 से शुरू होगी। दुर्गा पूजा (Durga Festival 2023) की शुरुआत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानि शारदीय नवरात्रि के छठे दिन से होती है। इसका समापन विजयादशमी को होगा। दुर्गा पूजा का पहला दिन कल्पारम्भ कहलाता है।

दुर्गा पूजा महत्व (Durga Puja Significance)

शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से पंचमी तक बंगाली दुर्गा पूजा की तैयारियां करते हैं, मां के मूर्ति को सजाया जाता है फिर छठवें दिन से शक्ति की उपासना होती हैं। बंगालियों में मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप को पूजा जाता है। पंडालों में देवी की इस प्रतिमा के साथ मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, पुत्र गणेश और कार्तिकेय की मूर्ति भी होती हैं। कहते हैं तीनों माता अपने बच्चों को लेकर मायके आती हैं इसलिए 5 दिन तक बेटी के स्वागत में धूमधाम से ये त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा पर सिंदूर खेला का विशेष महत्व (Sindoor Khela 2023)

शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन बंगाली समुदाय के स्त्रियां शादीशुदा महिलाएं सिंदूर खेला की रस्म निभाती हैं। इस साल सिंदूर खेला 24 अक्टूबर 2023 को है।बंगाली मान्यता है कि मां को विदाई देने से पहले देवी को सिंदूर अर्पित करने और महिलाओं को सिंदूर लगाने से सौभाग्वती होने का वरदान मिलता है।

दुर्गा पूजा (Durga Festival 2023) महत्व बिधि

दुर्गा पूजा (Durga Puja) पाँच दिनों तक मनाया जाता है। इन पाँच दिनों को षष्ठी, महासप्तमी, महाष्टमी, महानवमी और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

महा षष्ठी – दुर्गा पूजा (Durga Puja) का पहले दिन20 अक्टूबर 2023बिधि – बिल्व निमन्त्रण, कल्पारम्भ अकाल बोधन, आमन्त्रण और अधिवास
महा सप्तमी – दुर्गा पूजा (Durga Puja) का दूसरे दिन21 अक्टूबर 2023बिधि – नवपत्रिका पूजा, कलाबोऊ पूजा
महा अष्टमी – दुर्गा पूजा (Durga Puja) का तीसरे दिन22 अक्टूबर 2023बिधि – दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, सन्धि पूजा
महा नवमी – दुर्गा पूजा (Durga Festival) का चौथे दिन23 अक्टूबर 2023बिधि – महा नवमी, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन
विजयदशमी – दुर्गा पूजा (Durga Festival) का पांचवे दिन24 अक्टूबर 2023बिधि – दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी, सिंदूर खेला
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