Guru Nanak Jayanti 2023 | गुरुनानक जयंती कब है, जानें इसके इतिहास और महत्‍व

Ishwar Chand
12 Min Read

Guru Nanak Jayanti 2023 | गुरुनानक जयंती 2023

Guru Nanak Jayanti

Guru Nanak Jayanti 2023 Date: गुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन सिख समुदाय के लोग प्रकाश उत्‍सव मनाते हैं। इस दिन सिख धर्म के संस्‍थापक गुरु नानक देव का जन्‍मोत्‍सव मनाते हैं। इसे गरु पर्व और प्रकाशोत्‍सव कहा जाता है। सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्‍थापक गुरु नानक देवजी का जन्‍मदिन कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था।

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इस उपलक्ष्‍य में हर साल इस दिन गुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) मनाई जाती है। इस साल गुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) 27 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन गुरुद्वारों में अखंड पाठ, कीर्तन आदि कार्यक्रम किए जाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों को खूब सजाया जाता है और रोशनी करके प्रकाशोत्‍सव मनाया जाता है।

गुरू नानक देव कोन थे?

गुरु नानक देव, जिनका जन्म 1469 में तलवंडी गांव में हुआ था, जो इस समय आधुनिक पाकिस्तान में उपस्थित है, सिख धर्म के संस्थापक और दस सिख गुरुओं में से पहले थे। गुरु नानक देव एक दूरदर्शी दार्शनिक और धार्मिक सुधारक थे। उन्हें एक आध्यात्मिक नेता और दार्शनिक के रूप में सम्मानित किया जाता है जिनकी शिक्षाओं में ईश्वर की एकता, समानता और मानवता के लिए निस्वार्थ सेवा पर जोर दिया गया है। गुरु नानक देव का जीवन आध्यात्मिकता की गहरी भावना और ईश्वर की प्रकृति और मानव अस्तित्व को समझने की खोज से चिह्नित था।

वह अपने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह ज्ञान उन्हें बेन नदी के किनारे ध्यान की अवधि के दौरान मिला था। सिख परंपरा के अनुसार, वह तीन दिनों के लिए पानी के भीतर गायब हो गए और एक दिव्य संदेश के साथ उभरे, जिसमें ईश्वर की एकता और निस्वार्थ सेवा और समानता के लिए समर्पित जीवन जीने के महत्व पर जोर दिया गया।

क्या है गुरु नानक जयंती का महत्व? (Significance of Guru Nanak Jayanti)

इस पर्व का महत्व इसलिए है क्योंकि गुरु नानक देव जी का जन्मदिन होने के साथ-साथ इस दिन लोगों की सेवा करना बहुत जरूरी मानते हैं। साथ ही गुरु की शिक्षाओं को याद करने के लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) पर लोग गुरुद्वारों की साफ-सफाई करने के बाद गुरद्वारों को सजाया जाता है।

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इसके बाद नगर कीर्तन के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जाती है। आपको बता दें कि प्रभातफेरी गुरुद्वारे से शुरू होती है और नगर में फिरने के बाद गुरुद्वारे तक वापस आती है। गुरु नानक जयंती के दो दिन पहले ही गुरुद्वारों पर गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। इसके बाद कई गुरुद्वारों पर लंगर का आयोजन भी किया जाता है। सिख समुदाय के लोग पूरी आस्‍था और श्रृद्धा के साथ यह पर्व मनाते हैं और इस दिन गंगा स्‍नान करने और दान पुण्‍य करने का विशेष महत्‍व होता है। इस दिन दीपदान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) पर मनाया जाने वाला गुरु पर्व सिखों और अन्य लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। यह श्रद्धा का दिन है, जो गुरु नानक की समानता, विनम्रता और ईश्वर के प्रति समर्पण की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह त्योहार एकता, सामुदायिक बंधन और अंतर-धार्मिक समझ को बढ़ावा देता है, एकजुटता और धार्मिक सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है।

निस्वार्थ सेवा या “सेवा” के कार्य इन समारोह का असल उद्देश्य है, जो गुरु नानक की शिक्षाओं की भावना और एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण दुनिया की उनकी दृष्टि का प्रतीक हैं। गुरु पर्व सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती (Guru Nanak Jayanti) का प्रतीक है। यह उनके जीवन और शिक्षाओं के प्रति गहरी श्रद्धा और श्रद्धांजलि का दिन है।

गुरु ग्रंथ साहिब में समाहित गुरु नानक देव की शिक्षाएँ गहन आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं। गुरु पर्व सिखों के लिए इन शिक्षाओं पर विचार करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का समय है। यह त्योहार सिखों और अन्य लोगों को एक साथ लाता है, समुदाय और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

मंडलियाँ या “संगत” भजन सुनाने और सेवा और दान के कार्यों में संलग्न होने के लिए एक साथ आती हैं। गुरु नानक देव की शिक्षाएं अंतरधार्मिक समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देती हैं। गुरु पर्व विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए सिख धर्म और उसके सिद्धांतों के बारे में जानने, धार्मिक सद्भाव में योगदान देने का अवसर प्रदान करता है। निस्वार्थ सेवा के कार्य, जिन्हें “सेवा” के रूप में जाना जाता है, गुरु पर्व समारोह का एक केंद्रीय हिस्सा हैं। सिख और समुदाय गुरु नानक की शिक्षाओं के सिद्धांतों को प्रदर्शित करने के लिए सेवा के विभिन्न कार्यों में संलग्न हैं।

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Guru Nanak Jayanti

गुरु पर्व उत्सव (Guru Nanak Jayanti)

नगर कीर्तन: उत्सव अक्सर नगर कीर्तन से शुरू होता है, एक भव्य जुलूस जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को एक सुंदर ढंग से सजाए गए फ्लोट पर ले जाना शामिल होता है। यह जुलूस भजन गायन और पारंपरिक संगीत के साथ होता है।

अखंड पथ: कई सिख परिवार या गुरुद्वारे अखंड पथ का आयोजन करते हैं, जो गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ है, जो कई दिनों तक चल सकता है। भक्त बारी-बारी से पवित्र ग्रंथ को पढ़ते या सुनते हैं।

गुरुद्वारा सजावट: गुरुद्वारों को फूलों, रोशनी और रंगीन पर्दों सहित जीवंत सजावट से सजाया जाता है। केंद्रीय केंद्र गुरु ग्रंथ साहिब है, जिसे एक सिंहासन या पालकी पर रखा गया है, और खूबसूरती से सजाया गया है।

गुरबानी कीर्तन: भक्त गुरबानी कीर्तन में भाग लेते हैं, भजन गाते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब के छंदों का पाठ करते हैं। यह भक्ति संगीत आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी वातावरण बनाता है।

लंगर सेवा: लंगर, सामुदायिक रसोई, गुरु पर्व समारोह में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। स्वयंसेवक सभी आगंतुकों के लिए उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना निःशुल्क भोजन तैयार करते हैं और परोसते हैं। यह प्रथा समानता और निस्वार्थ सेवा के सिद्धांतों का प्रतीक है।

सामुदायिक सेवा: कई सिख गुरु पर्व के दौरान सेवा के कार्यों में संलग्न होते हैं। इसमें रक्तदान अभियान आयोजित करना, स्थानीय समुदायों में सेवा करना या धर्मार्थ गतिविधियों में भाग लेना शामिल हो सकता है।

प्रवचन: विद्वान और आध्यात्मिक नेता अक्सर गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं पर प्रवचन और व्याख्यान देते हैं, जो उनके दर्शन में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

गतका प्रदर्शन: गतका एक पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट है जिसे कभी-कभी गुरु पर्व समारोहों के दौरान प्रदर्शित किया जाता है। यह एक सांस्कृतिक तत्व है जो उत्सवों में जीवंतता जोड़ता है।

प्रभात फेरी: गुरु पर्व से पहले के दिनों में सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसे प्रभात फेरी के नाम से जाना जाता है। सड़कों पर चलते हुए प्रतिभागी भजन गाते हैं और प्रार्थनाएँ पढ़ते हैं।

आतिशबाजी: कुछ क्षेत्रों में, उत्सव जीवंत आतिशबाजी के प्रदर्शन के साथ समाप्त होता है जो रात के आकाश को रोशन करता है।

स्वयंसेवा: कई सिख और समुदाय के सदस्य गुरु पर्व समारोह की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से अपना समय और संसाधन से योगदान देते हैं।

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सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ज्ञान, एकता और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक के रूप में खड़े हैं। उनकी शिक्षाएँ समानता, करुणा और निस्वार्थ सेवा के मूल्यों पर जोर देते हुए लाखों लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती हैं। गुरु नानक का जीवन और दर्शन न केवल सिखों को बल्कि सभी पृष्ठभूमि के लोगों को मूल्यवान सबक प्रदान करता है, जो सद्भाव, अंतर-धार्मिक समझ और एक न्यायपूर्ण और समावेशी दुनिया की खोज को बढ़ावा देता है। उनकी विरासत को गुरु पर्व और उनकी शिक्षाओं के अनुसार जीने, विविध और परस्पर जुड़े हुए विश्व में एकता की भावना को बढ़ावा देने के चल रहे प्रयासों के माध्यम से मनाया जाता है।

गुरु नानक देव की प्रमुख शिक्षाएँ क्या हैं?

गुरू नानक की शिक्षाएँ ईश्वर की एकता, जाति या पंथ की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों की समानता और विनम्रता और निस्वार्थ सेवा का जीवन जीने के महत्व के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उनका दर्शन सामंजस्यपूर्ण और दयालु जीवन शैली को बढ़ावा देता है।

गुरु नानक देव के जन्मदिन को आज कैसे मनाया जाता है?

गुरु नानक देव के जन्मदिन को विभिन्न माध्यमों से मनाया जाता है, जिसमें गुरु पर्व सबसे प्रमुख है। सिख और विभिन्न धर्मों के लोग नगर कीर्तन, गुरबानी कीर्तन, लंगर सेवा और सामुदायिक सेवा के साथ उनकी जयंती मनाते हैं। उनकी शिक्षाएँ गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ और दुनिया भर के गुरुद्वारों और समुदायों में सेवा के अभ्यास के माध्यम से भी कायम हैं।

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) का इतिहास

मान्‍यता है कि गुरु नानक जी का जन्‍म साल 1469 में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था। तभी से हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख लोग अपने पहले धर्म गुरु गुरुनानक देव जी का जन्‍मोत्‍सव इस दिन मनाते हैं।

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) का आयोजन

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) को लेकर सिख धर्म के धार्मिक स्‍थ्‍लों में कई दिनों से पहले से ही तैयारियां आरंभ हो जाती हैं। इस दिन यहां सुबह की शुरुआत अमृत बेला के उत्‍सव से होती है। भजन होते हैं, कीर्तन और कथा का पाठ किया जाता है। उसके बाद प्रार्थना सभा और फिर लंगर का आयोजन होता है। लंगर के बाद भी कथा और कीर्तन पूरे दिन चलता रहता है। इस दिन लोग अपने घरों में और गुरुद्वारों में दीपक जलाते हैं और मिठाइयों का भोग लगाते हैं। रात में गुरुद्वारा में रोशनी जाती है और प्रकाश उत्‍सव मनाते हैं। रात में गुरबानी के बाद कार्यक्रम का समापन होता है।

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