Happy Holi 2024: इस साल कब है होली? जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

Ishwar Chand
9 Min Read

Holi 2024 Date?

holi
Holi 2024

Holi 2024: होली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली (Holi 2024) मनाई जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।

WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now

होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। घरों में गुझिया और पकवान बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।

Holi 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही धुलण्डी (वसन्तोत्सव या होली) के तौर पर मनाया जाता है। इस त्योहार को बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है। होली (डोलयात्रा, डोल जात्रा, बसंत-उत्सव) रंगों का हिंदू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत, अच्छी फसल और उर्वरता का जश्न मनाता है। यह आमतौर पर फरवरी या मार्च के उत्तरार्ध में पड़ता है।

Read More  Guru Nanak Jayanti 2023 | गुरुनानक जयंती कब है, जानें इसके इतिहास और महत्‍व

होली की तारीख व मुहूर्त : Holi 2024

होली (Holi 2024) हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। इस साल होली 25 मार्च 2024 यानी सोमवार को मनाई जाएगी। होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है, जो 24 मार्च 2024 रविवार को है।

विभिन्न क्षेत्रों में होली का पर्व : Holi 2024

कुछ स्थानों जैसे की मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जो मुख्य होली से भी अधिक ज़ोर-शोर से खेली जाती है। यह पर्व सबसे ज़्यादा धूम-धाम से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। ख़ास तौर पर बरसाना की लट्ठमार होली बहुत मशहूर है। मथुरा और वृन्दावन में भी 15 दिनों तक होली की धूम रहती है। हरयाणा में भाभी द्वारा देवर को सताने की परंपरा है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन सूखे गुलाल से खेलने की परंपरा है। दक्षिण गुजरात के आदि-वासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व है। छत्तीसगढ़ में लोक-गीतों का बहुत प्रचलन है और मालवांचल में भगोरिया मनाया जाता है।

होली का इतिहास : Holi 2024

होली (Holi 2024) का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है।

Read More  Akshaya Tritiya 2024: जाने कब है अक्षय तृतीया? जानिए सबसे शुभ मुहूर्त और पूजन विधि का महत्व

होली से जुड़ी पौराणिक कथाएँ : Holi 2024

होली (Holi 2024) से जुड़ी अनेक कथाएँ इतिहास-पुराण में पायी जाती हैं; जैसे हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की जनश्रुति, राधा-कृष्ण की लीलाएँ और राक्षसी धुण्डी की कथा आदि।

holi
Holi 2024

होली कैसे मनाई जाती है: महत्व और पूजा विधि : Holi 2024

होली वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। त्योहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है, जो होली की पूर्व संध्या पर एक अनुष्ठानिक अलाव है, जो बुरी आत्माओं को जलाने का प्रतीक है। अगले दिन, होली में, लोग रंगों से खेलते हैं, गाते हैं और नृत्य करते हैं, क्षमा, प्रेम और खुशी की भावना का प्रतीक होते हैं।

Read More  Dussehra 2024 : दशहरा 2024 कब है: जानिये तिथि, समय, और महत्व

होली की पूजा विधि (अनुष्ठान प्रक्रिया) में कुछ प्रमुख प्रथाएँ शामिल हैं। पहले दिन, लोग अलाव बनाने के लिए लकड़ी और दहनशील सामग्री इकट्ठा करके होलिका दहन की तैयारी करते हैं।

लकड़ी की चिता को सफेद धागे या मौली (कच्चा सूत) से उसके चारों ओर तीन या सात बार लपेटना होता है और फिर उस पर पवित्र जल, कुमकुम और फूल छिड़क कर उसकी पूजा करनी होती है। एक बार पूजा पूरी हो जाने के बाद, व्यक्ति के जीवन से अहंकार, नकारात्मकता और बुराई को जलाने और बुराई और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए आशीर्वाद का आह्वान करते हुए चिता जलाई जाती है।

अगले दिन, जिसे धुलेटी के नाम से जाना जाता है, पानी की बंदूकों और रंगीन पानी से भरे गुब्बारों का उपयोग करके एक दूसरे पर रंगीन पाउडर (गुलाल) लगाकर मनाया जाता है, जो प्यार और खुशी के प्रसार का प्रतीक है।

होली के त्योहार के दौरान, लोग गुझिया जैसी पारंपरिक मिठाइयों और ठंडाई जैसे पेय पदार्थों का आनंद लेकर जश्न मनाते हैं। ये स्वादिष्ट व्यंजन उत्सव के माहौल को बढ़ाते हैं और समुदाय को एक साथ लाते हैं। दोस्त और परिवार जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं और शानदार भोजन का आनंद लेते हुए त्योहार की चंचल भावना का आनंद लेते हैं। इस अवसर को रंगीन पाउडर और पानी के उपयोग से चिह्नित किया जाता है, और हर कोई उत्सव की भावना का आनंद लेते हुए एक अच्छा समय बिताता है।

Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now
WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Share This Article