Mohini Ekadashi 2024: एकादशी का व्रत हर प्रकार के पाप को मिटाकर सुख की अनुभूति कराता है। एक प्रकार से मोहिनी एकादशी के व्रत से व्यक्तियों को राजसुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए मोहिनी एकादशी कब है? 18 या 19 मई को?
Mohini Ekadashi 2024: जीवन के मोह जाल से मुक्त कराने के लिए मोहिनी एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को श्रीहरि ने संसार की रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया था।
भगवान श्रीहरि का एकमात्र अवतार जो स्त्री रूप में था। मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने वालों को सौभाग्य, सुख, सफलता और समृद्धि का अवसर मिलता है। मां लक्ष्मी की कृपा से घर में खुशहाली आती है। इस साल मोहिनी एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना है। आइए जानते हैं मोहिनी एकादशी 2024 की सही तारीख एवम मुहूर्त कब का है?
मोहिनी एकादशी 18 या 19 मई कब है ? (When is Mohini ekadashi 18 or 19 may 2024)
हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 18 मई को सुबह 11:22 पर शुरू होकर 19 मई 2024 को दोपहर 01:50 तक रहेगी। शास्त्रों में एकादशी व्रत सूर्योदय के साथ ही मनाया जाता है, इसलिए मोहिनी एकादशी 19 मई 2024 को है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त (Mohini Ekadashi 2024 Puja muhurat)
मोहिनी एकादशी 19 मई 2024
विष्णु पूजा मुहूर्त – सुबह 07:10 – दोपहर 12:18
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:05 – 04:47
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:50 – दोपहर 12:45
गोधूलि मुहूर्त – रात 07:06 – रात 07:27
अमृत काल – रात 08:33 – रात 10:20
भगवान राम ने रखा था मोहिनी एकादशी व्रत का नाम: Mohini Ekadashi 2024
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान राम (Bhagwan Ram) ने महर्षि वशिष्ठ (Vashishtha) से कहा कि गुरुवर जनक दुलारी सीता जी के वियोग में मैंने बहुत कष्ट भोगे हैं, इन कष्टों का निवारण कैसे होगा, इसका कोई उपाय बताएं। तब ऋषि ने भगवान राम को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का महत्व बताते हुए इस व्रत को करने को कहा। इस उपवास के प्रभाव से मनुष्य मोह के जाल से मुक्त हो जाता है। ऋषि बोले दुखी मनुष्य को इस एकादशी का उपवास अवश्य ही करना चाहिये। इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
मोहिनी एकादशी के दिन दान का महत्व (Mohini Ekadashi Daan)
मोहिनी एकादशी पर स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न, गौ-दान, मीठा जल, जूते, छाता, फल के दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ये व्रत 1000 गौदान करने के समान फल देता है।
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