Happy Raksha Bandhan 2024 : जानिए कब है 2024 में रक्षाबंधन, तिथि और महत्व

Ishwar Chand
8 Min Read

Raksha Bandhan 2024 | रक्षा बंधन: प्यार, सम्मान और सुरक्षा का बंधन

Raksha Bandhan 2024: रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख त्योहार है जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है और बहन अपने भाई की सुरक्षा और दीर्घायु की कामना करती है। रक्षा बंधन का त्योहार इस वर्ष 19 अगस्त, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

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रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाई बहन के खट्टे मीठे ओर सौहार्द पूर्ण रिश्तों की याद दिलाता है इस दिन बहने अपने भाई को तिलक कर के उनकी कलाई पर राखी बांधती है। और अपने भाई की सुख शांति, के साथ उनकी लंबी उम्र की कामना करती है, ओर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। इस त्योहार की परंपरा की कब शुरू हुई इसके बारे में अनेक पौराणिक कथाएं है। जिसके माध्यम से हमे राखी के त्योहार की जानकारी होगी.

Raksha Bandhan
Raksha Bandhan

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan), जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सभी प्रांतों और राज्यों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाइयों और बहनों के बीच साझा किए जाने वाले प्यार, स्नेह और सुरक्षा के शाश्वत बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ लाता है, रिश्तों को मजबूत करता है और प्यार, सम्मान और जिम्मेदारी के मूल्यों को मजबूत करता है। यह श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

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रक्षा बंधन का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Raksha Bandhan):

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का बहुत ही ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। इस त्योहार की परंपरा कब शुरू हुई इसके बारे में कई पौराणिक कथाएं है। जिसके माध्यम से हमे रक्षा बंधन त्योहार की परंपरा की अनेक जानकारी होंगी। ऐसी ही एक कथा है भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की

जब भगवान श्री कृष्ण के द्वारा सुदर्शन चक्र को धारण करते हैं समय उनकी उंगली में चोट लग गयी, तो द्रौपदी से ये नहीं देखा गया और उसने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण के हाथ में बांध दिया। द्रौपदी के निस्वार्थ सेवा को देखते हुई, भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया। कुछ समय पश्चात जब दुस्सासन ने द्रोपदी का चीर हरण करना चाहा तब भगवान श्री कृष्ण ने चीर बढ़ा कर उनकी रक्षा की और द्रौपदी के उपकार को चुकाकर रक्षा बंधन की महत्ता का प्रतिपादन किया। यह कहानी रक्षा बंधन के सार को दर्शाती है,

जहां एक बहन अपने भाई की कलाई पर एक रक्षा सूत्र (राखी) बांधती है, और बदले में भाई उसे उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

ऐसे ही एक और कथा है प्राचीन काल की बात है, जब दैत्यों के राजा बलि ने देवताओं प पर आक्रमण कर दियाऔर राक्षस देवताओं को परेशान करने लगे,तब इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गई फिर सचि ने देवताओं और अपने पति इंद्र की जीत के लिए भगवान विष्णु की उपासना कर उनसे सहायता मांगी।

इस पर भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया और कहा कि इस धागे को अपने पति इंद्र की कलाई में बांध देना जिससे युद्ध में देवताओं की जीत हो जायेगी । सची ने भगवान विष्णु के कहे अनुसार अपने पति इन्द्र की कलाई में वो धागा बांध दिया और उस युद्ध मे राजा बलि को पराजित कर इन्द्र विजेये हुए तभी से ये मान्यता है की बहने अपने भाई के लिए पत्नी अपने पति को रक्षा सुत्र बांध कर उनकी लंबी उम्र और जीत की कामना करती है।

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रक्षा बंधन के अनुष्ठान और उत्सव (Rituals and Celebrations of Raksha Bandhan):

रक्षा बंधन बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। बहनें खूबसूरत राखियों का चयन करके त्योहार की तैयारी करती हैं, जो साधारण धागे या जटिल डिजाइन वाले कंगन हो सकते हैं। त्योहार के दिन, बहनें अपने भाइयों के लिए आरती (एक जलता हुआ दीपक लहराने की रस्म) करती हैं, उनके माथे पर सिन्दूर का निशान लगाती हैं और उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। यह पवित्र धागा बहन के प्यार जो अपने भाई की भलाई के लिए प्रार्थना का प्रतीक है। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वादा करते हैं।

राखी का महत्व (Significance of Rakhi):

राखी (Rakhi) केवल एक सजावटी धागा नहीं है; यह भाई-बहनों के बीच गहरे बंधन का प्रतीक है। यह उसकी रक्षा और मार्गदर्शन करने की अपने भाई की क्षमता में बहन के विश्वास को दर्शाता है। यह त्योहार रक्त संबंधों की सीमाओं को पार करता है और चचेरे भाई-बहनों, दोस्तों और यहां तक कि पड़ोसियों द्वारा भी मनाया जाता है जो भाई-बहन का रिश्ता साझा करते हैं।

यह व्यक्तियों के बीच एकता, सद्भाव और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है। रक्षा बंधन सगे भाई-बहनों से भी आगे तक फैला हुआ है। कई व्यक्ति सामाजिक कार्यकर्ताओं, सैनिकों या किसी ऐसे व्यक्ति को राखी बाँधना पसंद करते हैं जिसे वे अपना रक्षक मानते हैं। यह प्रथा हमारे समाज में सुरक्षा, देखभाल और समर्थन के महत्व की स्वीकार्यता को दर्शाती है।

सांस्कृतिक विविधता को अपनाना

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे है। इसे विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह त्योहार सांप्रदायिक सद्भाव और एकजुटता का प्रतीक है, जो भारत में मौजूद विविधता और एकता को उजागर करता है।

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रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) एक खुशी का उत्सव है जो भाइयों और बहनों के बीच गहरे रिश्ते को दर्शाता है। यह प्यार, जिम्मेदारी और सुरक्षा के मूल्यों की याद दिलाता है जो स्वस्थ रिश्तों को विकसित करने में महत्वपूर्ण हैं। जैसा कि हम रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) मनाते हैं, आइए हम एकता, सम्मान और कृतज्ञता की भावना को अपनाएं, और इस शुभ दिन की सीमाओं से परे एक दूसरे की रक्षा और समर्थन करने का प्रयास करें।

सभी को Happy Raksha Bandhan

रक्षा बंधन कब है?
रक्षा बंधन का त्योहार इस वर्ष 19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को मनाया जाएगा।

रक्षा बंधन क्यों मनाई जाती है?
युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया, इस रक्षासूत्र ने इंद्र की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए, तभी से बहनें अपने भाइयों की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर राखी बांधने लगीं।

रक्षा बंधन कब और क्यों मनाया जाता है?
रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख त्योहार है जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है।

रक्षा बंधन का दूसरा नाम क्या है?
रक्षा बंधन का दूसरा नाम राखी, सलूनो, श्रावणी है।

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