Varuthini Ekadashi 2025: पापों से मुक्ति और सौभाग्य का पर्व

Ishwar Chand
8 Min Read

वरुथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 24 अप्रैल, 2025 (गुरुवार) को है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसका अर्थ है ‘रक्षा करने वाली एकादशी’। माना जाता है कि इस व्रत से पापों से मुक्ति मिलती है, सौभाग्य बढ़ता है और नकारात्मकता दूर होती है।

WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now

इस व्रत को करने से दस हजार वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है। इसकी कथा राजा मान्धाता से जुड़ी है, जिन्होंने व्रत करके कष्टों से मुक्ति पाई। इस दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा की जाती है।

व्रत में अनाज और दालें नहीं खाते, केवल सात्विक भोजन करते हैं। एकादशी की रात जागरण और विष्णु भजन महत्वपूर्ण हैं। अगले दिन द्वादशी को शुभ मुहूर्त में व्रत खोला जाता है। वरुथिनी एकादशी आध्यात्मिक विकास और विष्णु की कृपा पाने का उत्तम दिन है।

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व

पापों से मुक्ति: वरुथिनी एकादशी का व्रत करने का सबसे महत्वपूर्ण कारण अपने सभी ज्ञात और अज्ञात पापों से मुक्ति पाना है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के बुरे कर्मों का नाश होता है।

सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति: यह एकादशी सौभाग्य और समृद्धि लाने वाली मानी जाती है। व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

सुरक्षा और नकारात्मकता से बचाव: “वरुथिनी” का अर्थ है “रक्षा करने वाली”। इसलिए, यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।

Read More  Holika Dahan 2025 : इस साल कब है होलिका दहन? जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

मोक्ष की प्राप्ति: कई धार्मिक ग्रंथों में वरुथिनी एकादशी के व्रत को मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।

पुण्य फल: इस एकादशी का व्रत करने से दस हजार वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय स्वर्ण दान करने के बराबर फल इस व्रत से मिलता है।

दान का महत्व: इस दिन दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है, खासकर अन्नदान और कन्यादान को शास्त्रों में श्रेष्ठ दान कहा गया है, और वरुथिनी एकादशी का व्रत इन दानों के समान फल देता है।

भगवान विष्णु की कृपा: एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस दिन व्रत और पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Varuthini Ekadashi 2025: शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल, 2025 को शाम 04:43 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 24 अप्रैल, 2025 को दोपहर 02:32 बजे
व्रत पारण का समय: 25 अप्रैल, 2025 को सुबह 05:46 बजे से सुबह 08:23 बजे तक

शुभ योग और नक्षत्र:

इस वर्ष वरुथिनी एकादशी पर ब्रह्म, इन्द्र और शिववास योग बन रहे हैं, साथ ही शतभिषा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का संयोग है। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन 25 अप्रैल को सुबह किया जाएगा।

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि

दशमी तिथि (व्रत से एक दिन पहले):

दशमी की रात को केवल एक बार सात्विक भोजन करें। रात में ब्रह्मचर्य का पालन करें। मानसिक रूप से व्रत का संकल्प लें।

Read More  Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी 18 या 19 मई कब? सही तारीख, पूजा मुहूर्त यहां जानें

एकादशी तिथि (व्रत का दिन – 24 अप्रैल, गुरुवार 2025):

  • प्रातःकाल और स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, संभव हो तो पानी में गंगाजल मिलाएं।
  • वस्त्र और पूजा स्थान: स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थान को साफ कर गंगाजल से शुद्ध करें।
  • विष्णु स्थापना और संकल्प: एक लकड़ी के बाजोट पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उनका ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • दीप और मंत्र जाप: सबसे पहले दीप जलाएं और भगवान विष्णु के मंत्रों, विशेष रूप से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करते रहें।
  • पूजन सामग्री अर्पण: भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं या आचमन कराएं, फिर उन्हें चंदन, अक्षत, पीले फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  • भोग और पाठ: भगवान को केसर की खीर, पंचामृत, धनिया की पंजीरी, फल और मिठाई का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तोत्र या भगवत गीता का पाठ करें और व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • आचरण और आहार: दिन भर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें, उनका स्मरण करें, शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, निंदा और झूठ से बचें, दिन में न सोएं। संभव हो तो निर्जला व्रत रखें, अन्यथा केवल फल और व्रत के अनुकूल भोजन करें, अनाज और दालें न खाएं।
  • रात्रि जागरण और प्रार्थना: रात में जागरण करें और भगवान विष्णु की पूजा व भजन-कीर्तन में समय बिताएं। अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

द्वादशी तिथि (व्रत के अगले दिन – 25 अप्रैल, शुक्रवार 2025):

द्वादशी के दिन प्रातः स्नान करें। शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। इस वर्ष पारण का शुभ समय सुबह 5:46 बजे से 8:23 बजे तक है। व्रत खोलते समय सबसे पहले भगवान को भोग लगाएं और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें। सात्विक और हल्का भोजन करें। ब्राह्मणों या गरीबों को दान दें।

Read More  Happy Makar Sankranti 2025: जानिए कब है मकर संक्राति का त्यौहार और शुभ मुहूर्त

Varuthini Ekadashi 2025: व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

बर्तनों का त्याग: कांसे के बर्तन में भोजन न करें।
निषिद्ध भोजन: मांस, मसूर की दाल, चना, कोदों का शाक और शहद का सेवन न करें। तेल और नमक का प्रयोग सीमित रखें।
वर्जित क्रियाएं: पान खाना और दातुन करना भी वर्जित है।
आचरण शुद्धि: किसी के प्रति बुरे विचार न रखें और शारीरिक संबंध न बनाएं।

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी से जुडी कथा?

प्राचीन काल में धर्मात्मा राजा मान्धाता नर्मदा तट पर तपस्या कर रहे थे। तभी एक भालू ने उनका पैर चबाना शुरू कर दिया। राजा ने विचलित हुए बिना भगवान विष्णु से प्रार्थना की। उनकी करुणा भरी पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और भालू का वध कर दिया।

राजा अपने पैर खोने से दुखी थे। तब भगवान विष्णु ने उन्हें वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने और मथुरा में वराह रूप की पूजा करने की सलाह दी। भगवान ने बताया कि यह उनके पूर्व जन्म के कर्मों का फल था।

राजा मान्धाता ने भगवान की आज्ञा का पालन किया और श्रद्धापूर्वक व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से वे शीघ्र ही स्वस्थ और संपूर्ण अंगों वाले हो गए। मृत्यु के पश्चात उन्हें स्वर्ग की भी प्राप्ति हुई।

इस कथा से वरुथिनी एकादशी के महत्व का पता चलता है। यह व्रत पूर्व जन्मों के पापों को नष्ट करने, कष्टों से मुक्ति दिलाने और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।

Telegram Channel Card
Telegram Channel Join Now
WhatsApp Group Card
WhatsApp Group Join Now
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *