Playschool | Hindi Story

Ishwar Chand
7 Min Read

झूलाघर | Hindi Story

hindi story

आज घर में बड़ी हलचल है। मम्मा जल्दी – जल्दी किचन में काम खत्म कर रही हैं। आजकल मम्मा को आनलाइन आफिस भी सम्हालनी होती है और किचन का सारा काम भी। फिर मैं भी तो अभी केवल दो साल का होने वाला हूँ – इसलिए मुझे अपनी गोद में टांगे हुए मम्मा काम करती हैं। वैसे मुझे अब कुछ- कुछ समझ में आने लगा है कि मम्मा इतना सारा काम नहीं कर सकती लेकिन क्या करूँ – मैं अभी बहुत छोटा हूँ और अभी तो मुझे ठीक से बोलना भी नही आता – बल्कि मैं भी जब जी चाहे तब बिलख – बिलख कर रो – रो कर अपनी जिद पूरी करवा कर ही मानता हूँ। जब पापा जैसा बड़ा हो जाऊंगा तब अपनी मम्मा के सारे कामों में हाथ बंटाया करूंगा – ये मेरा पक्का प्रामिस है।

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कल से ही मम्मा बड़ी खुश हैं और मुझे बार बार गोद में लेकर यही बता रही हैं कि मेरी नानी आने वाली है। मेरे लिए ढेर सारे खिलौने मिठाइयां और कपड़े लेकर आ रही हैं। वैसे नानी नानू को मोबाइल फोन के विडियो काल पर मैने देखा है – मुझे तो नानू की सफेद बड़ी मूछें बहुत अच्छी लगती हैं और नानी की मीठी आवाज भी बहुत पसंद है। जिस दिन मैं बिना किसी वजह के बेसुरा होकर रोने लगता हूँ – तब मम्मा सबसे पहले नानी को ही विडियो काल करती हैं – बस उनकी आवाज सुनते ही मैं रोना भूल जाता हूँ। वैसे मेरे दादू – दादी भी है और उनसे भी मम्मा विडियो काल पर मेरी हर हरकत दिखाती हैं।

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सब कुछ तो ठीक है लेकिन आजकल जब से मेरी नैनी अपने गांव गयी है तब से हमारे घर में कुछ ज्यादा ही चिकचिक होने लगी है, शायद बढे हुए काम को लेकर और मैं तो अब हरपल ही मम्मा के सहारे रहने लगा हूँ। पता है-जब मम्मा की लैपटॉप पर मीटिंग होती है तब मम्मा अपने टेबल चेयर के नीचे मेरे ढेर सारे खिलौने और खाने पीने का सामान बिखेर देती हैं और मैं मम्मा के पैरों के नीचे लाड दुलार के साथ खेलता खाता रहता हूँ जब मेरी नैनी आ जायेगी तब ऐसा नही होगा इसलिए मैं तो यही चाहता हूँ कि नैनी लौटकर मत आये।

इसी बीच एक दिन मम्मा बाबा एक बहुत सुंदर सी जगह मुझे लेकर गये थे। वहां मेरी उम्र के और मुझसे बड़े बच्चे मिले। वहां ढेर सारे खेल खिलौने थे और छोटे बच्चों के लिए रंग बिरंगे कलर में जानवरों की फोटोस थी। मैं मम्मा की गोद से उतरकर वहां खूब खेलता रहा। उस दिन घर लौटकर हम सब बहुत खुश थे।

अगले दिन मम्मा ने मुझे सुबह – सुबह ही नहला – धुलाकर तैयार किया। मेरी पसंद की पूरियां बनायीं। मेरे लिए एक छोटे डिब्बे में काजू किशमिश रखे। एक छोटे डिब्बे में खीरा काटकर रखा और जो सुंदर सी बाॅटल और बैग कल शाम को मेरी पसंद से खरीदे थे – वो सारा सामान पैक कर दिया। मुझे बड़ी सुंदर सी ड्रेस पहनाकर मम्मा – बाबा आज फिर उसी बिल्डिंग में लेकर गये – लेकिन जाने क्यों मम्मा बार बार आंखें पोंछ रही थीं और मेरे बाबा भी उदास थे। जैसे ही मैं वहां पहुंचा एक सुंदर सी मम्मी जैसी आंटी ने बढकर मुझे गोद में ले लिया। पहली बार मम्मा की गोद से मैं उतरकर आया था। मेरी मम्मा मुझसे दूर हो रही थी और मैं तो बस रोए जा रहा था। मुझे उन आंटी ने बहुत प्यार किया और ढेर सारे खिलौने लाकर दिये। मैने देखा मेरे जैसे ही वहां ढेर सारे बच्चे हैं। उसके बाद मुझे मजा आने लगा लेकिन मम्मा की मन ही मन याद आती रही। यहां सब कुछ बहुत अच्छा है लेकिन मम्मा भी यहां साथ में रहती तो कितना मजा आता। फिर तो रोज का नियम ही बन गया और मुझे न चाहते हुए भी रोते हुए झूलाघर में आना पड़ता।

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हाँ तो आज घर में बड़ी हलचल है आज मेरी प्यारी सी नानी आ रही है और मैं इसलिए खुश हूँ कि नानी के साथ रहना होगा और ये रोज़ रोज़ झूलाघर भी नही आना होगा सचमुच नानी आयी और मेरे लिए बहुत सारे गिफ्ट्स भी लायी। मम्मा- बाबा के लिए भी सुंदर – सुंदर ड्रेस लायी। अगली सुबह घर में कोई भी किचकिच नहीं हो रही थी। मम्मा मेरी नानी के साथ बाहर बालकनी में बैठकर चाय पी रही थीं और उसके बाद आज नानी ने नाश्ता भी तैयार किया और मुझे गुदगुदी मचाते हुए नहाने की टब में पानी में छपाछप करने छोड़ दिया। वाह नानी तो जैसे मेरे मन की सब बात जानती हैं – मम्मा तो पकडकर सीधे नहला ही देती हैं जिससे डरकर मैं रोने लगता हूँ लेकिन नानी ने तो पता चलने ही नहीं दिया कि कब खेल खेल में मैं नहाकर तैयार भी हो गया। आज नानी भी हमारे साथ चल रही हैं – मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि नानी के पास हर मुश्किल का हल है। तभी मेरा वही झूलाघर सामने आ गया। वही आंटी ने बढकर मुझे लपक लिया

“अरी नानी, मेरी मदद तो करो। तुम क्या तमाशा देखने आयी हो? ओ नानी मुझे बचाओ। मुझे अपने साथ ले चलो। मुझे यहां नहीं रहना लेकिन आज नानी और मम्मा बाय बाय में हाथ हिलाती रह गयीं। आज मैं फिर झूलाघर के झूले में उन्हीं खिलौनों के बीच पहुंच गया हूँ। अब शायद घर और झूलाघर में ही सभी मम्माओं के बच्चे बड़े होंगे। मेरी शुरुआत हो चुकी है।

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